March 15, 2025

लिंग आधारित हिंसा के विरुद्ध अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिये कार्यशाला सम्पन्न

 लिंग आधारित हिंसा के विरुद्ध अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिये कार्यशाला सम्पन्न

डीएम ने महिला सुरक्षा के लिये दिया मूल मंत्र ’’सहेंगे नहीं, कहेंगे’’

प्रदेश सरकार मिशन शक्ति के माध्यम से महिलाओं को बना रही आत्मनिर्भर एवं स्वाबलम्बी

उत्पीड़न न हो इसके लिये उत्पीड़न बर्दाश्त करना बन्द करें

अलीगढ़/उत्तर प्रदेश:(संवाददाता जेड ए खान)- अलीगढ़ महिलाओं के खिलाफ हिंसा एवं भेदभाव के उन्मूलन प्रति जागरूकता के लिए संचालित लिंग आधारित हिंसा के विरुद्ध अभियान के सफल क्रियान्वयन के सम्बन्ध में कलैक्ट्रेट सभागार में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में छात्र-छात्राओं, महिलाओं एवं बालिकाओं को विभिन्न अधिनियमों जैसे-दहेज उत्पीड़न, कार्य स्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, बाल विवाह, अनैतिक व्यापार, पास्को एक्ट एवं हेल्पलाइन नम्बर के बारे में जागरूक किया गया। जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि लिंग आधारित हिंसा के विरूद्ध राष्ट्रीय जेण्डर अभियान 25 नवम्बर से संचालित है जो आगामी 22 दिसम्बर तक चलेगा। उन्होंने कहा कि महिला, पुरूष एवं ट्रांसजेण्डर के प्रति किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करना है। संवेदनशीलता एवं मानवीयता से अभियान को पूर्ण करें। उन्होंने सभी के लिये जागरूकता का स्लोगन ’’सहेंगे नहीं, कहेंगे’’, ’’नई चेतना, पहल बदलाव की’’ देते हुए कहा कि चाहे आप महिला हों या पुरूष या फिर ट्रासंजेण्डर ही क्यों न हों, जो आपको अच्छा नहीं लगता उसके विरूद्ध आवाज जरूर उठाएं। आप द्वारा पहले अपराध को न रोकना ही दूसरे अपराध को बढ़ावा देता है। जिस दिन आप अपने प्रति हो रहे उत्पीड़न को बर्दाश्त करना छोड़ देंगे उसी दिन आपका उत्पीड़न बन्द हो जाएगा। अपने कार्य, व्यवहार एवं आचरण में बदलाव लाएं यह समय की मांग भी है। उन्होंने अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि घर में बेटा-बेटी में विभेद समाप्त करें, इससे लैगिंक असमानता समाप्त करने को बल मिलेगा। उन्होंने बालिकाओं एवं महिलाओं से छुई-मुई इमेज से बाहर निकलने की अपील करते हुए कहा कि अब ऐसा समय है जब आपको विभिन्न क्षेत्रों में पुरूषों के साथ कंधे से कधा मिलाकर काम करने की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार द्वारा मिशन शक्ति के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं स्वाबलम्बी बनाने के दिशा में अभूतपूर्व कार्य किये गये हैं। जिला महिला कल्याण अधिकारी स्मिता सिंह ने बताया कि बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1929 के पहले के कानून के स्थान पर बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 को अधिनियमित किया गया। इस अधिनियम के अन्तर्गत बाल विवाह पर रोक लगाने, पीड़ितों को राहत देने और इस तरह के विवाह को बढ़ावा देने या इसे बढ़ावा देने वालों के लिए सजा जैसे प्रावधान दिये गये हैं। इसमें दोषी पाये जाने पर 02 साल का कठोर कारावास या 01 लाख रू0 या दोनो का जुर्माना हो सकता है। उन्होंने बताया कि पास्को एक्ट 2012 अधिनियम बनाने का उद्देश्य यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण देना है। इसके तहत नाबालिग के प्रति यौन उत्पीड़न एवं यौन शोषण जैसे अपराध और छेड़छाड़ करने के मामले में कार्यवाही की जाती है। इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का निर्धारण किया गया है। यह कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के एवं लड़कियों दोनों पर लागू होता है। उन्होंने दहेज निषेध अधिनियम 1961 के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 05 वर्ष की कैद और 15 हजार रूपये जुर्माने का प्राविधान है। दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498ए के अन्तर्गत जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है, के अन्तर्गत 03 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है। उन्होंने घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005 के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस अधिनियम का उद्देश्य घरेलू हिंसा से महिलाओं को बचाना और पीड़ित महिलाओं को कानूनी सहायता उपलब्ध कराना है। इस कानून के तहत घरेलू हिंसा के दायरे में अनेक प्रकार के हिंसा और दुर्व्यवहार आते हैं। जिसमें शारीरिक दुरूपयोग, लैगिंग शोषण, मौखिक और भावनात्मक हिंसा, आर्थिक हिंसा, ये सब घरेलू हिंसा की श्रेणी में आते हैं। इसी के साथ ही महिलाओं के सुरक्षा के दृष्टिगत हेल्पलाइन नम्बर जारी किये गये हैं, जिसमें 1090 वूमेन पावर लाइन,181 महिला हेल्पलाइन,1076 मुख्यमंत्री हेल्पलाइन,112 पुलिस आपातकालीन सेवा, 1098 चाइल्ड लाइन, 102 स्वास्थ्य सेवाओं एवं 108 एम्बूलेंस सेवाएं है। इस अवसर पर एनआरएलएम की महिलाएं, अध्यापिकाएं सहित महिला कल्याण विभाग की कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

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