स्वीडन और फिनलैंड क्या नाटो में हो पाएगा शामिल

यूक्रेन युद्ध के बीच रूस के खतरे को भांप कर स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में शामिल होने के बीच रुकावट बनता नजर आ रहा है तुर्की। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने यह साफ तौर पर कह दिया है कि फिनलैंड और स्वीडन के नाटो की सदस्यता के खिलाफ वह वोट करेंगें। स्वीडन और फिनलैंड से एर्दोगान की नाराजगी की वजह तुर्की के विद्रोही गुट हैं। उनका कहना है कि इन दोनों देशों का आतंकी संगठनों के विरुद्ध कोई स्पष्ट रवइया नहीं है, जबकि तुर्की कुर्दिश गुटों को आतंकी गुट मानता है । तुर्की के विदेश मंत्री के कई बार अनुरोध के बावजूद भी स्वीडन और फिनलैंड ने संदिग्धों को प्रत्यर्पित नहीं किया था, जिसकी उन्होंने कड़ी आलोचना भी की थी। इन देशों पर गुलेन आंदोलन या पीकेके के साथ संबंध रखने का भी आरोप है ।
स्वीडन और फिनलैंड ने कहा था कि नाटो की सदस्यता की बातचीत के लिए वे अपना एक दल तुर्की भेजेंगे, जिस पर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने यहां तक कह दिया कि इन देशों को अपना प्रतिनिधिमंडल भेजने की तकलीफ उठाने की कोई जरूरत नहीं है। तुर्की की इन सब बातों पर फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्तो ने कहा कि वे हतप्रभ है उन्होंने कहा कि हम तुर्की से मोल भाव नहीं करना चाहते। फिलहाल नाटो में 30 सदस्य हैं जिसमें तुर्की 1952 से ही नाटो का हिस्सा है, अब देखना यह है कि क्या यह दोनों देश नाटो में शामिल होते हैं या नहीं। वैसे तो विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में तुर्की नाटो के सदस्यों के साथ कुछ समझौतों के आधार पर मान सकता है लेकिन अभी ऐसा कुछ दिखता नजर नहीं आ रहा है।