क्यों नहीं पलटेगी अतीक़ अहमद की गाड़ी

उत्तर प्रदेश:–ऐसी कोई धारणा कि अतीक़ अहमद के साबरमती से प्रयागराज आने के दौरान कोई हादसा हो सकता है या विकास दुबे की तर्ज़ पर गाड़ी पलट सकती है, पूरी तरह आधारहीन है।

इसमें दो राय नहीं कि दिन-दहाड़े उमेश पाल हत्याकांड के बाद जोगी सरकार बहुत दबाव में है । आज एक महीना बीत जाने के बाद भी हत्यारों का पकड़ा ना जाना उनकी ज़ीरो टॉलरेंस वाली पॉलिसी को गंभीर चुनौती है । ऐसे में जनसाधारण की भावनाओं को देखते हुए किसी भी सरकार पर एनकाउंटर के ज़रिए त्वरित न्याय दिलाने का दबाव बढ़ जाता है । परंतु इस पूरे मामले का एक और पहलू भी है ।

परसों यानी 28 मार्च को उमेश पाल अपहरण मुक़दमे में फ़ैसला आने वाला है । उल्लेखनीय है कि अपनी मृत्यु से पहले इस केस में उनकी गवाही पूरी हो चुकी थी और माना जा रहा है कि इसमें अतीक़ अहमद को सज़ा हो जायेगी । धाराएँ इतनी सख़्त हैं कि आजीवन कारावास की पूरी संभावना है ।

यदि ऐसा होता है तो अतीक़ अहमद के तक़रीबन 40 साल के आपराधिक जीवन में पहली बार उसे किसी मामले में सज़ा होगी । योगी आदित्यनाथ के शासनकाल की इससे बड़ी उपलब्धि नहीं हो सकती कि क़ानूनी तरीक़े से एक दुर्दांत माफ़िया को उसके अंजाम तक पहुंचाया जाये ।

मुख्यमंत्री को यह कहने का मौक़ा मिल जाएगा (और जो ग़लत भी नहीं होगा) कि एक अच्छी क़ानून व्यवस्था की सरकार में अदालती प्रक्रिया के ज़रिए भी अपराधियों को सख़्त सज़ा दिलाई जा सकती है और न्याय का दावा गंभीरता से किया जा सकता है ।

उल्लेखनीय है कि सौ से ज़्यादा गंभीर आपराधिक मामलों के बावजूद अतीक़ अहमद का कोई भी मुक़दमा आज तक फ़ैसले की स्थिति तक ही नहीं पहुँचा । अव्वल तो गवाह नहीं मिलते थे, मिलते थे तो पलट जाते थे । सुनवाई टलती रहती थी और नतीजा ये कि इतने लंबे अपराधिक जीवन में अतीक़ पर कोई भी अपराध सिद्ध नहीं हो पाया ।

ऐसे में क़ानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए यदि अतीक़ पर दोष सिद्ध हो जाता है और उसे एक लंबी सज़ा हो जाती है तो लोगों के मन में क़ानून और न्याय के प्रति शायद पहली बार विश्वास पैदा हो सकता है ।

इन हालातों में योगी आदित्यनाथ की सरकार की प्राथमिकता अतीक़ अहमद को साबरमती से प्रयागराज तक पूरी हिफ़ाज़त से लाने और 28 मार्च को उसको अदालत में भी सही-सलामत पेश करने की होगी जिसमें उसकी उपस्थिति में उसे दोषी ठहरा कर सज़ा सुनाई जा सके ।

शायद उमेश पाल की हत्या और उनके साथ मारे गये दो पुलिस के सिपाहियों की शहादत का इससे बड़ा प्रतिकार नहीं हो सकता ।