March 15, 2025

लखीमपुर में समाजवादी पार्टी कमज़ोर क्यों हो गयी? बेबाक- रियाजुल्ला खान

 लखीमपुर में समाजवादी पार्टी कमज़ोर क्यों हो गयी? बेबाक- रियाजुल्ला खान

लखीमपुर खीरी/उत्तर प्रदेश:(संवाददाता चांद मियां)–2012 तक जनपद खीरी में समाजवादी पार्टी ने हमेशा चुनावी राजनीति में अच्छा प्रदर्शन किया है।असली खेल 2013 से 2014 के बीच शुरू हुआ। पहला कारण 2009 में रवि प्रकाश वर्मा जी के लोकसभा चुनाव हारने के बाद जनपद के पावर सेंटर बदलने की कवायद या साज़िश की शुरुवात हुई।इस साजिश को धीरे धीरे फैलाना शुरु किया गया 2014 आते आते जो कुर्मी विरोधी राजनीति केवल पावर सेंटर के बदलने से शुरु हुआ वो अपना असर दिखाने लगा था 2014 में ही धौरहरा लोकसभा से पार्टी के बड़े नेता आनंद भदौरिया जी और खीरी से पूर्व सांसद रवि जी मैदान में उतरे लेकिन एन्टी कुर्मी राजनीति जो समाजवादी पार्टी के जनपद के शीर्ष नेतृत्व ने शुरुवात की थी उसका असर ये हुआ कि रवि जी के साथ आनंद भदौरिया जी को कुर्मी वोट जितना 2012 तक पार्टी को मिलता रहा था वो नही मिला परिणाम स्वरूप हम चुनाव हार गए।चुनाव के पश्चात रवि वर्मा जी ने जब हार के बाद थोड़ा समीक्षा की मुद्रा में थे ठीक उसी समय ज़िले में नेतृत्व परिवर्तन हुआ और नया ज़िला अध्य्क्ष मिला खेल वहीं शुरू हुआ क्योंकि जो ज़िला अध्य्क्ष बना वो 1992 से लगातार यूथ संगठनों का जिले से लेकर प्रदेश तक कुशलता से नेतृत्व कर चुका था ऐसा ज़िला अध्य्क्ष मिलने के बाद रवि जी जिन्होंने पार्टी को हमेशा एकजुट रखने में प्रमुख भूमिका निभाई थी उन्होंने सही हाथों में नेतृत्व देखकर खुद को राज्यसभा सांसद बनने के बाद देश स्तरीय राजनीति की तरफ रुख कर लिया यही समय तत्कालीन पूर्व जिला अध्य्क्ष जी की साज़िशों और पार्टी में कुर्मी ज़िला अध्य्क्ष के रहते हुए अन्य वर्गों को कुर्मी विरोधी राजनीति के लिए लामबंद करने की मुहिम शुरू कर दी और पुराने कार्यकर्ताओ को ठिकाने लगाने का काम शुरू कर दिया ।

ठीक उसी समय साजिशन एक महिला का प्रयोग करके अनुराग पटेल,और और पूर्व विधायक स्व कृष्ण गोपाल पटेल जी पर झूठा मुकदमा दर्ज कराया गया और वर्तमान महासचिव के नेतृत्व में पार्टी के विरोध में प्रेस कॉफ्रेंस और पुतले जलाए गए इसके परिणाम स्वरूप 2017 आते आते जनपद भयानक रूप से गुटों में बट चुका था पुराने कार्यकर्ता नाराज़ होकर घर बैठ चुके थे कुछ टिकट बदले दो सीट कांग्रेस को गयी जिससे समीकरण प्रभावित हुए परिणाम जनपद की आठ सीट हार गई पार्टी। एक बार फिर ज़िला नेतृत्व बदला और पार्टी को नया अध्य्क्ष मिला लेकिन गुटों में बटी पार्टी को एकजुट रखने पर सारा ध्यान और यथास्थित बनाये रखने में लगाये रहे । 19 में लोकसभा प्रत्याशी को लड़ाने के लिए चूंकि बसपा के साथ गठबंधन था तो लोकसभा प्रत्यशी पूर्वी वर्मा जी और पूर्व सांसद रवि वर्मा जी बसपा के साथियों को आगे कर चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई लेकिन पार्टी की अंदरूनी साज़िश ने इस लड़ाई को कमज़ोर करने के लिए दीमक की तरह कार्य किया पूर्व जिला अध्य्क्ष जो अब एमएलसी भी थे उनकी एन्टी कुर्मी मुहिम और तेज हो गयी थी ।ऐसे में मौजूदा ज़िला अध्य्क्ष खुद को असहाय मानते हुए चुनावी रणनीतिकारों में भी जगह नही बना पाए परिणाम फिर हार।

2022 से पहले जनपद में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन हुआ लेकिन इस बार लखीमपुर के इतिहास में जो हुआ वो और भी दुर्भाग्य पूर्ण था पंचायत चुनाव में समर्थन के लिए बोली लगने लगी और जिला पंचायत अध्य्क्ष के चुनाव में साज़िश और पैसों के खेल ने फिर खेल बिगाड़ा सब जानने के बावजूद कोई नेता कुछ नही बोला विधानसभा में आवेदकों की भीड़ उसके बाद आवेदकों की गद्दारी हर सीट पर पार्टी की हार का कारण बनी और जो प्रत्याशी उतारे गए उसमे कुछ बसपा से आयातित थे और उन्होंने पार्टी में बसपा कल्चर मतलब पैसे का खेल किया जिससे पार्टी को फिर तिकुनिया कांड के बाद भी जीत नसीब नही हुई ।इस पर भी खेल नही रुका और एक बार फिर मौजूदा ज़िला अध्य्क्ष अपने पूर्व सजातीय ज़िला अध्य्क्ष के इशारे पर एन्टी कुर्मी राजनीति का हिस्सा बन गए और उससे पहले ज़िला पंचायत के चुनाव में धन उगाही के आरोपो के उनकी छवि धूमिल हो चुकी थी लेकिन पैसों का खेल ,एन्टी कुर्मी मिशन के लिए आये दिन नई जॉइनिंग सिर्फ इसलिए कि जाते जाते कुछ कमाई हो जाये नगर पालिका/नगर पंचायत में फिर विधानसभा की तरह बाहरी लोगों की भर्ती धड़ल्ले से होने लगी परिणाम नगर पालिका /नगर पंचायत के भी जीरो होने में कोई कसर नही छोड़ी जा रही है। लखीमपुर में बड़ी बड़ी घटनाओं और जनहित के मुद्दे उठाने में पिछड़ना और बसपा की तरह केवल चुनावी पार्टी बनकर सिमट गई जनपद में।


अगर जनपद में पार्टी मज़बूत करनी है तो पावर सेंटर एक होना चाहिए और जो बाहरी आकर पार्टी को लगातार कमज़ोर कर रहे है उनको कंट्रोल करने के साथ ही संगठन पर पकड़ और पुराने लोगो को जोड़ कर और नवजवानों के साथ एक नया ढांचा तैयार करने की ज़रूरत है साथ ही जो राजनीतिक पुरोधा निष्क्रिय या उदासीन है उनके अनुभवों का फायदा लेते हुए संगठन,मूल कार्यकर्ता,जातीय समीकरण,एन्टी कुर्मी का ठप्पा हटाकर ज़िला अध्य्क्ष ऐसा बनाये जो कार्यकर्ता के गंदे हाथ देखकर हाथ मिलाने से इनकार न करें जो मुस्लिमो , दलितों ,अन्य पिछडो और गरीब कार्यकर्ताओ के घर का पानी पीने से परहेज़ न करें आज समाजवादी पार्टी से दलित वर्ग ,अन्य पिछडो को बहुत उम्मीद है लेकिन पार्टी पिछड़ा,अल्पसंख्यक,,और दलित वर्ग को इग्नोर करके जनपद में उस वर्ग को जोड़ने को प्रयासरत है जो लालच में पार्टी में आ सकता लेकिन समाजवादी विचारधारा का नही हो सकता।

PUBLISH BY KTH NEWS NETWORK

https://kuchtohai.in