गांव के सुख समृद्धि के लिए की गई परंपरागत खप्पर पूजा।

गांव के चारों दिशाओं में लगाई गई दूध की धार।
गमा देवी मंदिर से प्रारंभ होकर गांव के धुरे पर दफन की गई सामग्री।
बिछवा/मैनपुरी:(दिलनवाज)– आषाढ़ माह की पूर्णमासी को गांव की सुख समृद्धि के लिए साथ ही गांव में किसी भी प्रकार का जानवरों पर कोई भी दैवी प्रकोप ना हो इसके लिए प्रतिवर्ष वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ गमा देवी मंदिर से प्रारंभ होकर खप्पर पूजा सारे गांव के घरों में घूमते हुए बाद में पुराने रीति-रिवाजों के अनुसार गांव के गांव की सीमा धुरे पर शांत कराई गयी ।
आषाढ़ माह की पूर्णमासी को रात्रि में पुराने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ गमा देवी मंदिर पर हवन यज्ञ कराया गया साथ ही हवन यज्ञ में गर्म चावुक को एक भक्त ने अपनी पीठ पर मार कर पूजा अर्चना का कार्य प्रारंभ कराया।
हाथ में एक बर्तन लेकर उसमें आग प्रज्वलित कराई गई साथ ही मिर्च व सरसों के तेल से उस पर आहुति दी गई उसके बाद भक्तों के आगे व पीछे गांव के युवाओं की टोली जयकारे लगाते हुए गांव के प्रत्येक मोहल्ले व घर में जाकर खप्पर को घुमाने की प्रक्रिया पूरी कराई गई। खबर को घूमने के बाद मटकी तोड़ने की भी रिवाज है जिसे गांव के युवा भीड़ के हटते ही पीछे दरवाजे के बाहर मटकी तोड़ी जाती है वह भी इस बार तोड़ी गई।
इस पूजा में गांव निवासी रामपाल बृजेश सोनू, राम सिंह, मातादीन गयादीन भोले ,नेत्रपाल बीना गगन ,आकाश छोटे करूं बड़े करु रवि सनी जीतू भूरे लक्ष्मी सुनील कुमार,रघु कश्यप आसे फकीर, गोपाल बबलू के अलावा गांव के दर्जनों लोग मौजूद रहे।।