कुपोषण उन्मूलन में हुआ महत्वपूर्ण सुधार, 2020 की तुलना में गम्भीर अतिकुपोषित बच्चों की संख्या में आई 59 प्रतिशत कमी।

“संवर्धन- सुपोषित रामपुर एक पहल” से मिल रहे सकारात्मक परिणाम।
रामपुर/उत्तर प्रदेश:(संवाददाता आफाक अहमद खान)–जिला प्रशासन द्वारा चलाई जा रही मुहिम के अंतर्गत आच्छादित अति कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में अत्यंत महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2022 में गम्भीर अति कुपोषित बच्चों की संख्या में 59 प्रतिशत की कमी देखी गई है जो प्रशासन की “संवर्धन-सुपोषित रामपुर एक पहल” कार्यक्रम के सकारात्मक पहलू का अत्यंत जीवंत उदाहरण है।
जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार माँदड़ की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में आयोजित जिला पोषण समिति की बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने आईसीडीएस, स्वास्थ्य, शिक्षा, पंचायती राज एवं पूर्ति सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों को कुपोषण उन्मूलन के लिए प्रशासनिक पहल के सकारात्मक परिणामों के साथ-साथ भविष्य की रणनीति के बारे में भी विस्तार पूर्वक निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को मिलेट्स को प्रोत्साहन के लिए समर्पित वर्ष के रूप में घोषित किया गया है।
सरकार का मोटे अनाजों को प्रोत्साहित करने पर विशेष जोर है। स्थानीय स्तर पर प्रशासन द्वारा मिलेट्स से तैयार सुपोषित आहार से कुपोषण उन्मूलन की दिशा में पूर्व से ही कार्य किया जा रहा है। रामपुर में एफ़पीओ के सहयोग से कुपोषित बच्चों, एनेमिक गर्भवती महिलाओं और एनीमिक किशोरियों को पोषण किट प्रदान करने और उसके सकारात्मक परिणाम अपने आप में प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर अत्यंत सराहनीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एनएफ़एचएस की रिपोर्ट और मानव विकास सूचकांक के मानकों के अनुरूप नागरिकों को सभी बेहतर संसाधनों से लैस बनाने की दिशा में प्रशासनिक स्तर से लगातार कार्य किए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य, सुपोषण और शिक्षा के साथ-साथ अन्य सभी जरूरी आयामों से प्रत्येक बच्चे को जोड़ना और उसे बेहतर जीवन प्रदान करने की दिशा में सरकार की मंशा को साकार बनाना प्रत्येक अधिकारी की प्राथमिक जिम्मेदारी है। कुपोषण उन्मूलन की प्रशासनिक मुहिम को जन आंदोलन का स्वरूप मिले और आमजन के बीच पोषण प्रबंधन एक चर्चा का विषय बनना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अब हमारे देश के सामने विश्व के विकसित देशों की श्रेणी में सम्मिलित होने की चुनौती है और इसके लिए हमें अपने अपने स्तर से सरकारी तंत्र का एक जिम्मेदार हिस्सा होने के नाते अपने दायित्वों को समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि कुपोषण जैसी गंभीर समस्या के समाधान में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी भी तय की गई है और इसके परिणाम स्वरूप कुपोषण उन्मूलन के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं।
जिलाधिकारी ने सभी खंड विकास अधिकारी, बाल विकास परियोजना अधिकारी,जिला कार्यक्रम अधिकारी और जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देशित किया कि 01 सप्ताह के भीतर जनपद के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर वॉल पेंटिंग और सौंदर्यीकरण का कार्य पूर्ण करा लिया जाए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों को जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि वे ई- कवच ऐप और वात्सल्य ऐप पर डाटा की फीडिंग में तेजी लाएं और मॉनिटरिंग भी करें।
वीएचएसएनडी सत्रों का निर्धारित रोस्टर के अनुसार नियमित रूप से आयोजन होना चाहिए और इन सत्रों की मॉनिटरिंग के लिए प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी और बाल विकास परियोजना अधिकारी कम से कम 10 केंद्रों का निरीक्षण करके यह सुनिश्चित करेंगे कि वहां वीएचएसएनडी सत्रों का निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार आयोजन हो रहा है और इस संबंध में निरीक्षण आख्या जिलाधिकारी कार्यालय को भी प्रेषित करेंगे।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एस पी सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार, जिला प्रोबेशन अधिकारी लवकुश भार्गव और जिला कृषि अधिकारी
नरेंद्र पाल सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।