September 19, 2025
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जिलाधिकारी ने पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में किसानों को लगातार जागरूक करने के दिए निर्देश

 जिलाधिकारी ने पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में किसानों को लगातार जागरूक करने के दिए निर्देश

जानबूझकर पराली/कृषि अवशेष जलाने वाले असामाजिक तत्वों को बख्शा नहीं जाएगा, होगी विधिक कार्यवाही

लगातार जागरूकता के बाद भी कतिपय लोगों द्वारा पराली जलाए जाने की घटना पर तत्काल हो एफआईआर दर्ज

जन जागरण के बाद भी असामाजिक तत्वों द्वारा यदि पराली जलाई जाती है तो उन्हें चिन्हित करते हुए सख्त कार्यवाही के निर्देश

जिलाधिकारी ने तहसीलदारों को दिए निर्देश, पराली जलाने पर आरोपित अर्थदंड एक दिवस में वसूल करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करें

फसल अवशेष प्रबंधन के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु किसान सेवा रथ पराली प्रभावित क्षेत्र में भ्रमण करते हुए किसानों को दें जानकारी

धान बाहुल्य क्षेत्र के ग्राम प्रधान/कृषि विभाग के अधिकारी रखें सतत दृष्टि, पराली जलाने पर लगेगा अर्थदंड और होगी एफआईआर दर्ज

राष्ट्रीय हरित अभिकरण के आदेशानुसार फसल अवशेष जलाया जाना एक दंडनीय अपराध :- जिलाधिकारी

फसल अवशेष/पराली जलाने की घटनाएं ना हो, ग्राम प्रधान, सचिव एवं लेखपाल, एटीएम/ बीटीएम, बीट के सिपाही व चौकीदार क्षेत्र के लोगों को करें जागरूक।

      झांसी/उत्तर प्रदेश:(संवाददाता सुल्तान आब्दी)–जिलाधिकारी  रविंद्र कुमार ने जनपद के विकासखंड बड़ागांव/चिरगांव व तहसील सदर के ग्रामों में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करने के बाद भी कतिपय लोगों द्वारा पराली/कृषि अवशेष को खेत में जलाने की घटनाएं लगातार हो रही है, ऐसी घटनाओं को किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जाएगा।


    उन्होंने कहा कि धान प्रभावित क्षेत्र में पूर्व से किसानों को जागरूकता कार्यक्रम के दौरान खेत में आग लगाने/पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी दी जा रही है परंतु यह देखा जा रहा है कि कुछ कतिपय लोगों द्वारा लगातार खेत में आग लगाने की घटनाएं हो रही है ऐसे लोगों के विरुद्ध कार्यवाही करते हुए एफआईआर दर्ज करते हुए अर्थदंड आरोपित किया जाए।



    जिलाधिकारी  रविंद्र कुमार ने महिला सशक्तिकरण को चरितार्थ करती महिला किसान एवं अन्य कृषकों से अपील करते हुए कहा कि खेत में आग ना लगाएं, कृषि अवशेष/घरों का कूड़ा खेत में किसी भी दशा में न जलाएं। उन्होंने कहा कि  मुख्यमंत्री  की मंशा है कि पराली प्रबंधन से किसानों की आय को बढ़ाया जाए और इसे मूर्त रूप देने के लिए आज किसानों को निशुल्क वेस्ट डी-कंपोजर कैप्सूल वितरित किए जा रहे हैं।उन्होंने कहा किसान इसका प्रयोग करें और पराली/कृषि अवशेष को खाद बनाते हुए अपनी फसल उत्पादन को बढ़ावा दें। उन्होंने विशेष रूप से विकास खंड मोंठ और विकासखंड बड़ागांव व विकासखंड चिरगांव के किसानों को जागरूक करने पर बल देते हुए कहा कि खेत में आग लगाने से अथवा कृषि अवशेष को जलाने से जहां एक और वायुमंडल दूषित होता है, वही खेत के मित्र कीट भी मृत होते हैं साथ ही मृदा के पोषक तत्वों की भी क्षति हुई होती है। जिस कारण पैदावार में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।



      जिलाधिकारी ने कहा कि  राष्ट्रीय हरित अभिकरण के अदेशानुसार फसल अवशेष जलाया जाना एक दण्डनीय अपराध है तथा पर्यावरण विभाग के निर्देशानुसार 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिये रु 2500/-, 02 से 05 एकड क्षेत्र के लिये रु 5000/- एवं 05 एकड़ से अधिक के लिये रु 15000/- तक पर्यावरण कम्पन्सेशन की वसूली का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि जनपद में पराली की घटना पाये जाने पर सम्बन्धित को दण्डित करने के सम्बन्ध में राजस्व अनुभाग द्वारा राष्ट्रीय हरित अभिकरण अधिनियम की धारा 24 के अन्तर्गत क्षति पूर्ति की वसूली एवं धारा-26 के अन्तर्गत उल्लघंन की पुनरावृत्ति होने पर सम्बन्धित के विरुद्ध कारावास एवं अर्थ दण्ड लगाये जाने का प्राविधान है।



   उन्होंने बताया कि ग्राम प्रधान, राजस्व ग्राम के लेखपाल/सचिव, बीट के सिपाही एवं चौकीदार को यह जिम्मेदारी दी गयी है कि वह अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलने की घटनाये बिलकुल न होने दे, यदि इस प्रकार की कोई घटना उनके क्षेत्र में पाई जाती है तो उनके विरुद्ध कार्यवाही का प्राविधान  है, इसके अतिरिक्त जनपद के समस्त थाना प्रभारियों को निर्देश दिये गये है कि वह अपने क्षेत्र में फसल अवशेष को जलने से रोकने के लिये प्रभावी कार्यवाही करें तथा किसी भी दशा में फसल अवशेष न जलने दें। 


      जिलाधिकारी ने धान प्रभावित क्षेत्र के उप जिलाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सभी अपने क्षेत्र में ग्राम प्रधान लेखपाल सचिव देश के सिपाही चौकीदार कृषि विभाग से संबंधित एटीएम/बीटीएम व अन्य विभागीय कर्मचारियों के साथ एक बैठक आयोजित करते हुए लोगों को खेत में आग लगाने कृषि अवशेष व पराली जलाए जाने से रोके जाने के लिए जागरूक करें और आग लगाने से होने वाले दुष्प्रभावों की भी जानकारी उन्हें दें ताकि किसान खेत में आग लगाने से बचें।   



   जनपद में थोड़ी सी सहूलियत के कारण कुछ किसान, पराली को अपने खेतों में ही आग लगा देते है जिस कारण हमारी जमीन में करोड़ों जीवाणु व मित्र कीट जल जाते है व जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए हमें फिर से रासायनिक खादों का अंधाधुंध इस्तेमाल करना पड़ता है। जिसका सीधा असर हमारी आर्थिक स्थिति पर्यावरण के साथ-साथ जमीन पर भी पड़ता है। उन्होंने किसानों को प्रेरित करते हुए कहा कि आओ इस बार पहल करते हुए वेस्ट डी कंपोजर कैप्सूल से पराली को बिना जलाए, खेत में गला कर खाद बनाए व बिना कैमिकल का प्रयोग किए अपने परिवार व मित्रों के लिए ऑर्गेनिक गेहूं की फसल लहलाएं।


     जिलाधिकारी ने धान उत्पादित क्षेत्र के किसानों को चेतावनी देते हुए जानकारी दी की कृषि अवशेष/पराली जलाए जाने पर सख्त कार्यवाही की जाएगी, उन्होंने बताया सर्वोच्च न्यायालय एंव  राष्ट्रीय हरित अभिकरण (एन0जी0टी0) के निर्देशो के अनुसार पराली जलाया जाना पर्यावरण संरक्षण एंव (एन0जी0टी0) का उल्लघंन है उक्त के क्रम में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा सेक्सन - 15 तथा आई0पी0सी0 की धारा 268,269,270,278, 290,291, एंव 181 के द्वारा इनके विरूद्ध  एफ0आई0आर0 दर्ज कराई जाएगी। उन्होंने ताकीद करते हुए कहा कि यदि कोई किसान अपने खेत में कृषि अवशेषों में आग लगाता है तो उसके विरुद्ध भी एफआईआर दर्ज की जाएगी। जनपद में ऐसे असामाजिक तत्व क्यों कि जानबूझकर खेत में पराली किसी अवशेष को जलाते हैं उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा सख्त कार्यवाही की जाएगी।
    उप कृषि निदेशक  महेंद्र पाल सिंह ने बताया कि जनपद में अब तक सेटेलाइट के माध्यम से 38 घटनाओं की सूचनाएं प्राप्त हुई है, जिसमें 20 एफआईआर दर्ज करते हुए 25 कतिपय लोगो को जेल भेजा गया है। इसके अतिरिक्त 62500 धनराशि अर्थदंड के रूप में वसूल की गई।    


   उन्होंने कहा पराली/कृषि अवशेष जलाए जाने की सबसे अधिक घटनाएं विकासखंड मोंठ में प्राप्त हुई हैं, विकासखंड चिरगांव और बड़ागांव में भी प्रणाली जलाए जाने की घटनाओं की सूचना प्राप्त हो रही है। इसे सख्ती से रोका जाए, समस्त उप जिलाधिकारियों को क्षेत्र में खुली बैठक करते हुए लोगों को पराली कृषि अवशेष जलाए जाने से होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी देने और उन्हें खेत में आग ना लगाने के लिए जागरूक करें।

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