बहुचर्चित यौन शोषण के आरोप में फंसे कार्यालय के प्रशासनिक अफसर को मिल गयी राहत

अपने आपको असली पत्रकार और दूसरों को फर्जी बताने
वालों ने कर दिया कमाल,आखिर ऐसे मामलों में भी
सौदा कर लेते हैं ऐसे लोग जो पत्रकारिता को कलंकित कर रहे हैं
झाँसी/उत्तर प्रदेश:(सुल्तान आब्दी)– एक सरकारी महकमे के एक खण्ड के प्रशासनिक अफसर की बीते एक सप्ताह से सांसें अटकी हुयीं थीं। रिटायरमेंट के करीब पहुंच चुके इस बाबूजी पर कार्यालय में काम करने वाली एक संविदा कर्मचारी ने यौन शोषण का आरोप लगाते हुए संबंधित थाने में प्रार्थना पत्र दिया। पहले दिन से ही पीड़िता, आरोपित व्यक्ति और पुलिस इस मामले में समझौता कराने के मूड में थे। थाने में तो मामले की लिखापढ़ी रोक दी गयी। अब बारी थी मीडिया को मैनेज करने की, इसकी वजह थी मीडियाकर्मियों की फौज रोजाना उक्त बाबूजी के कार्यालय जा धमकती या उनके फोन पर संपर्क करके उनसे इस प्रकरण के बारे में बातचीत करती। बताया गया कि बाबू जी ने अपने दो खास लोगों को मीडिया मैनेज करने के लिए दौड़ा दिया। अखबारों, चैनल या पोर्टल पत्रकारों से संपर्क किया जाने लगा,शर्त थी कि जिस युवती ने उन पर जो आरोप लगाए हैं उसे किसी तरह से समझौता करने को राजी किया जाए। चूंकि मामला गंभीर था इसलिए बाबूजी समझौता कराने वाले को मुंहमांगी रकम देने को तैयार थे। आरोप पत्र दिये जाने के चार-पांच दिन गुजरने के बाद जब उनपर कोई कार्यवाही नहीं हुयी तो बाबूजी के हौसले बुलंद हो गये। इसी बीच दो कैमरा पत्रकारों से उनका संपर्क हो गया। कैमरा पत्रकारों ने पीड़िता को समझौता करने को किसी तरह राजी कर लिया। बताया गया कि इसके बाद समझौता राशि तय की गयी, कैमर पत्रकारों न अपनी फीस ली और सब कुछ मैनेज हो गया। यह मामला निपटने के बाद बाबूजी ने राहत की सांस ली। बताया गया कि उक्त बाबूजी की पत्नी की डेढ़-दो साल पूर्व कोरोना काल में मृत्यु हो गयी थी। बाबू जी के जवान बच्चे हैं, ऐसे में उनपर इस तरह के आरोप से उनकी न केवल परिवार में बल्कि समाज में भी छीछालेदर हो रही थी। बताया तो यह जा रहा है कि इस पूरे कांड में बाबूजी के दस पेटी धनराशि स्वाहा हो गयी।