August 8, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने बेगूसराय एडीजे सुनील कुमार वर्मा के नियुक्ति को सही बताया

 सुप्रीम कोर्ट ने बेगूसराय एडीजे सुनील कुमार वर्मा के नियुक्ति को सही बताया

पटना हाई कोर्ट को श्री वर्मा को पुनः बहाल करने का आदेश

बिहार:(कोनैन)–पटना हाई कोर्ट के अनुशंसा पर 17 दिसंबर 2020 को बिहार सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर बेगूसराय जिला न्यायालय में पदस्थापित एडीजे सुनील कुमार वर्मा की नियुक्ति उम्मीदवारी को रद्द करते हुए नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इस खबर से बेगूसराय न्यायालय में अफरा तफरी का माहौल बन गया लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हाईकोर्ट के अनुशंसा पर बिहार सरकार क्यों एक पदस्थापित एडीजे को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। एडीजे सुनील कुमार वर्मा ने बर्खास्त आदेश के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में रिट दाखिल की परंतु पटना उच्च न्यायालय ने रिट को खारिज करते हुए बर्खास्तगी के आदेश को सही बताया। एडीजे सुनील कुमार वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में S.L.P. 7781 /2021 पटना उच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध दाखिल की। जिसमें 12 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए कहा कि ADJ सुनील कुमार वर्मा की नियुक्ति सही है और तुरंत उन्हें बहाल किया जाय। आखिर क्यों पटना उच्च न्यायालय ने एडीजे सुनील कुमार वर्मा की नियुक्ति उम्मीदवारी को रद्द करने की अनुशंसा की। आपको बता दें कि वैसे अधिवक्ता जिनका वकालत में 7 वर्ष का अनुभव हो उनके लिए वर्ष 2016 में बिहार सरकार ने अधिवक्ता कोटा के लिए एडीजे पद की बहाली निकाली थी। एडीजे पद के लिए श्री वर्मा ने भी अपना आवेदन दाखिल की क्योंकि वकालत पेशा में इनका 7 वर्ष पूरा हो चुका था। बिहार सरकार एडीजे बहाली की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ा रही थी ।इसी बीच उत्तर प्रदेश राज्य में जूनियर डिवीजन सिविल जज की बहाली 16 जनवरी 2017 को निकली श्री वर्मा ने इसमें भी आवेदन फॉर्म भर दिया और इनकी नियुक्ति सिविल जज के पद पर उत्तर प्रदेश में हो गई। श्री वर्मा के उत्तर प्रदेश में सिविल जज के रूप में जॉइनिंग के बाद बिहार में एडीजे परीक्षा के कार्यक्रम की घोषणा हुई तब श्री वर्मा ने हाईकोर्ट इलाहाबाद से बिहार में एडीजे की परीक्षा में शामिल होने की अनुमति लेकर इस परीक्षा में शामिल हुए और इनका एडीजे के पद के लिए सलेक्शन हो गया ।श्री वर्मा ने हाईकोर्ट इलाहाबाद से सिविल जज जूनियर डिविजन से त्यागपत्र देकर बिहार राज्य में एडीजे के पद पर काम करने के लिए अनुमति मांगी और हाई कोर्ट इलाहाबाद ने श्री वर्मा का त्यागपत्र स्वीकार करते हुए बिहार राज्य में एडीजे पद पर कार्य करने के लिए श्री वर्मा को आदेश दे दिया। इसी बीच धीरज मोर बनाम दिल्ली हाई कोर्ट का एक फैसला आया। इसमें श्री बर्मा कै तरह ही अधिवक्ता कोटे से बहाल होने वाले उम्मीदवार बहाली के वक्त न्यायिक पदाधिकारी थे। श्री वर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बर्मा के अधिवक्ता ने माननीय न्यायमूर्ति को बताया कि जिस वक्त श्री वर्मा ने एडीजे का आवेदन भरा था उस तारीख को श्री वर्मा का वकालत पेशा में 7 वर्ष का अनुभव पूरा हो चुका था इसलिए धीरज मोर बनाम दिल्ली हाई कोर्ट का निर्णय इस मामले में लागू नहीं होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता की दलील को मानते हुए पटना उच्च न्यायालय एवं बिहार सरकार की बर्खास्तगी के आदेश को रद्द करते हुए श्री वर्मा के नियुक्ति उम्मीदवारी को वैध बताते हुए हाई कोर्ट पटना को ज्वाइन कराने का आदेश दिया और सुप्रीम कोर्ट ने नौकरी के योगदान की तिथि से इनकी सीनियरटी बरकरार रखा। इस बात की पूरी संभावना कि श्री वर्मा का बेगूसराय जिला न्यायालय में किसी विशेष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में जॉइनिंग होगी।

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