September 19, 2025
Breaking

पंचकल्याणक का तीसरा दिन भगवान का जन्म उत्सव मनाया गया इसके बाद विशाल जुलूस निकाला गया

 पंचकल्याणक का तीसरा दिन भगवान का जन्म उत्सव मनाया गया इसके बाद विशाल जुलूस निकाला गया

झांसी/उत्तर प्रदेश:(संवाददाता सुनील जैन)–पंचकल्याणक के तीसरे दिन जन्म कल्याणक यह बात मुनिश्री सुप्रभसागर ने खेर इंटर कालेज बालिका विभाग में बनी धर्म की नगरी अयोध्या में चल रहे श्री मुनि सुव्रतनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक एवं गजरथ महामहोत्सवर के अवसर पर कही। आगे उन्होंने कहा कि संसार में सबसे अधिक पुण्यात्मा जीव यदि कोई होता है तो वह तीर्थकर भगवान ही होते हैं। क्योंकि वे अपने पुण्य को पुण्य में लगाकर भव से भवातील होने का पुरुषार्थ करते हैं और जो जीव जन्म मरण से अतीत होने का पुरुषार्थ करते हैं।

उनका जन्म जन्मकल्याणक के रूप में मनाया जाता है। तीर्थंकर भगवान इतने पुण्यात्मा होते हैं कि उनके गर्भ में आने के छह माह पूर्व से ही माता-पिता के आंगन में रत्नवृष्टि प्रारंभ हो जाती जिनके जन्म के अवसर पर स्वर्गों का अधिपति सौधर्म इन्द्र भी अपने पूरे परिकर के साथ भगवान का जन्मकल्याणक मनाने के लिए इस मध्यलोक में आते हैं। जिनके जन्म के समय नरक के नारकियों को भी एक क्षण के लिए सुख, शांति की अनुभूति होती है। जिनके जन्म के निमित्त से वे माता-पिता भी मोसगामी हो जाते है। भगवान के जन्म के समय वह सौधर्म एवं शची इन्द्राणी उनके प्रथम दर्शन से इतनी विशुद्धि को प्राप्त करते हैं कि अगले भव में वे भी भगवत्ता को प्राप्त कर लेते हैं।

आवश्यकता अपने भावों में उस विशुद्धि को प्राप्त करने की है। वह सौधर्म जब भगवान का प्रथम दर्शन करता है तो अपने दो नेत्रों से तृप्त नहीं होता इसलिए वह हजार नेत्र बनाकर भगवान के रूप को निहारता है। भावों की विशुद्धि पैसों से नहीं खरीदी जाती, वह तो भगवान की पूजा- भक्ति से ही प्राप्त होती है। व्यक्ति को अपने राग-द्वेष रूप परिणाम के प्रदूषण को दूर करते हुए आत्म विशुद्धि को प्राप्त करने का पुरुषार्थ करना चाहिये यही सम्पूर्ण जीवन का सार है।


आज जन्मकल्याणक के अवसर पर प्रातः काल में भगवान की शांतिधारा करने का सौभाग्य सिंघई उदयचंद-उत्कर्ष कुमार ने प्राप्त किया। भगवान सुनिसुव्रत नाथ के जन्म के अवसर पर मूढबद्री (कर्नाटक) से आये चिण्डे बैण्ड ने सभी भक्तों को मंत्र मुग्ध कर दिया, बांदरी (म.प्र.) की दिल दिल घोड़ी भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी रही।

मध्यहान में भगवान के जन्मकल्याणक की भव्यशोभा यात्रा निकाली गई जिसमें सौधर्म इन्द्र बालक तीर्थंकर को लेकर ऐरावत हाथी पर चल रहा था तो कुबेर इन्द्र रत्ने दृष्टि करते हुए चला। सभी प्रमुख पात्र बग्गियों पर चल रहे थे।

भव्य जुलूस आयोजन स्थल से प्रारंभ होकर नगर के विभिन्न मार्गों से होता हुआ-सु-विशुद्ध नसिया, महावीर पार्क पहुँचा। जहाँ बालक तीर्थंकर का पाण्डुक शिला पर अभिषेक सम्पन्न हुआ। जिसमें सौधर्म इन्द्र के पश्चात् प्रथम कलश का सौभाग्य सुनवाहा परिवार टीकमगढ़ मे रत्न कलश के माध्यम प्राप्त किया तो स्वर्ण कलश का सौभाग्य सिमरा परिवार गुरसराय ने प्राप्त किया।

इस अवसर पर विभिन्न नगरों से आये अतिथियों ने जन्मकल्याणक शोभा बढ़ाई,इस अवसर पर श्रद्धालु जनों स्थान-2 पर मिष्ठान वितरण कर भगवान के जन्मकल्याणक की खुशियां मनाई।

PUBLISH BY KTH NEWS NETWORK

https://kuchtohai.in