समाजवाद की जरूरत समाजवाद की नवीनतम परिभाषा-रियाजुल्ला खान

लखीमपुर खीरी /उत्तर प्रदेश:(संवाददाता चांद मियां)–भारत के आज़ाद होने के बाद नेता की छवि जो गढ़ी गयी थी वो अंग्रेजो की तरह गोरा,लम्बा,तगड़ा व्यक्ति होना चाहिए इसलिए जब देश आजाद हुआ तब नेहरू जी इसमें फिट बैठे लेकिन उस समय भी समाजवादियों ने उसके विपरीत साधारण शक्ल सूरत के डॉ लोहिया को नेता चुना,उसी परंपरा के नेता मुलायम सिंह यादव थे।
समाजवाद का वह दौर जो नेता जी(सुभाष),भगत सिंह,डॉ लोहिया,गांधी के समय था आज बदल चुका है।आचार्य नरेंद्र देव ने कहा था “सच्चा समाजवाद कोई अटल सिद्धांत नही है जीवन की गति के साथ वो बदलता रहता है इसकी विशेषता क्रांतिकारी होना आवश्यक है” मुलायम सिंह यादव ऐसे नेता थे जिन्होंने लंबे समय से समाजवादी विचारधारा की वकालत ही नही की बल्कि ऐंडी चोटी का जोर लगाते हुए इसके लिए निरंतर संघर्ष किया अनेक बार जेल गए,जब सत्ता में रहे तो उन्होंने अपने निर्णयों से गरीब पिछडो को हमेशा स्थान दिया नेता जी ने कहा था “हम कब से बोल रहे कि ये लड़ाई सैकड़ा में 95 बनाम 5 की है सवाल ये उठेगा की ये 5 है कौन? ये वो लोग है जो विदेशी हुक़ूमत के समय पढ़े लिखे सर्व सम्पन्न थे विदेशी हुकुमत में सबसे ज़्यादा शोषण इन्ही लोगो ने किया आज भी उन्ही को इज़्ज़त और सम्मान मिलता है अडानी ताज़ा उदाहरण है जिसको बचाने के लिए पूरी सरकार लगी हुई है अंग्रेजी हुक़ूमत की दलाली और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के खिलाफ षडयंत्र करने वाले यही 5 थे।
उसी पांच सैकड़ा के पास आज भी हिंदुस्तान की सारी सुख सुविधा है।95 प्रतिशत अपने जीवन की सुख सुविधाओं से पूरे के पूरे उपेक्षित एवं वंचित है 80 करोड़ लोग आज़ादी के अमृत महोत्सव के समय भी 5 किलो राशन की भीख पे निर्भर हैं।अगर हिंदुस्तान अन्न के मामले में आत्मनिर्भर बना तो इसमें सरकार का क्या योगदान? इसका श्रेय इस देश के किसानों का है मेहनतकश मज़दूरों का है जिनको सरकार से कोई मदद नही मिली।
आज उसी समाजवाद के नायक अखिलेश यादव है उन्होंने समाजवाद को नए फ्लेवर में इंटरनेट तक पहुंचाया आज उन्होंने गांव तक लैपटॉप के ज़रिए टेक्नोलॉजी से जोड़ दिया मेट्रो,इंफ्रास्ट्रक्चर जिस पर 5 प्रतिशत सुख सुविधा सम्पन्न लोगों का एकाधिकार समझा जाता था आज गरीब गुरबा तक पहुंचाने का कार्य किया।
अब ज़िम्मेदारी पिछडो,अल्पसंख्यकों,शोषितों,वंचितों,किसानों और नवजवानों की है कि नेता जी के सपने को 95 बनाम 5 की लड़ाई को लड़ने की है। अखिलेश जी आज लोहिया ,अम्बेडकर,गांधी के सपनो को साकार करने के लिए नवसमजवाद के रास्ते से सामाजिक न्याय की लड़ाई को लड़ने का काम कर रहे है यही उनका समाजवाद और उनके नवसमजवाद की परिभाषा है।