June 23, 2025

राष्ट्रीय शैक्षिक महाकुम्भ 2022 एवं 16वें राष्ट्रीय गणित सम्मेलन में राष्ट्रीय धरोहर सम्मान से गणितज्ञ रत्नेश शाक्य हुये सम्मानित

 राष्ट्रीय शैक्षिक महाकुम्भ 2022 एवं 16वें राष्ट्रीय गणित सम्मेलन में राष्ट्रीय धरोहर सम्मान से गणितज्ञ रत्नेश शाक्य हुये सम्मानित

मैनपुरी/उत्तर प्रदेश:–जिले के कस्बा भोगांव के निवासी पूर्व विधायक हरीराम शाक्य के सबसे छोटे सुपुत्र एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय जगतपुर के गणित शिक्षक रत्नेश कुमार को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के चिलबिला में आयोजित राष्ट्रीय शैक्षिक महाकुंभ 2022 एवं 16 वें राष्ट्रीय गणित सम्मेलन में राष्ट्रीय धरोहर सम्मान प्राप्त कर जिले का नाम रोशन किया है। रत्नेश शाक्य को यह सम्मान गणितीय महासूत्रों की खोज, संख्या बटे शून्य तथा शून्य बटे शून्य की खोज करने लिए सम्मानित किया गया। रत्नेश कुमार को राष्ट्रीय शैक्षिक महाकुंभ के आयोजक राम सजीवन मौर्य एवं इन्जीनियर राम अचल जी ने राष्ट्रीय धरोहर सम्मान पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कर्ता डा0 राधेश्याम मौर्य ने की। संचालक अनिल निलय ने कहा रत्नेश महासूत्र राष्ट्र की धरोहर हैं।

गणितज्ञ रत्नेश शाक्य ने बताया कि मौर्य बंधुत्व क्लब, ऑल इंडिया रामानुजन मैथमेटिकल क्लब एवं विज्ञान प्रसार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शैक्षिक महाकुंभ में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गणितज्ञ, वैज्ञानिक, समाजसेवी, उद्यमी, कवि, बाल कलाकार, यूथ मोटीवेटर, विभिन्न क्षेत्रों के कैरियर विशेषज्ञ सहित देश के 23 राज्यों की प्रतिभाएं को भी सम्मानित किया गया।

महासूत्रों का प्रदर्शन
रत्नेश शाक्य वर्ष 2011 से लेकर अब तक सीमेट इलाहाबाद सहित 100 से अधिक विभिन्न शिक्षण संस्थाओं में स्वयं द्वारा खोजे गए विभाज्यता के महासूत्रों का प्रदर्शन कर चुके हैं।

महासूत्रों की विशेषताएं
इनके विभाज्यता के महासूत्र की विशेषता यह है कि इस सूत्र की सहायता से प्रत्येक प्राकृतिक संख्या के लिए विभाज्यता के नियम बनाए जा सकते हैं तथा यदि अनंत का मान निश्चित होता तो अनंत के लिए भी विभज्यता का नियम रत्नेश के सूत्र से बनाया जाना सम्भव हो जाता। महासूत्र से बने नियमों को बनाने में कुछ ही पलों का समय लगता है। अभी तक प्रत्येक प्राकृतिक संख्या के लिए विभाज्यता के अलग-अलग नियम किताबों में मौजूद हैं। चूँकि प्राकृतिक संख्या असंख्य है इसलिए विभाज्यता के नियम भी असंख्य हैं और इन असंख्य के नियमों को याद करना, समझना, समझाना बहुत ही कठिन प्रतीत होता है। इस कठिनाई को दूर करने के लिए रत्नेश शाक्य ने वर्ष 2011 में विभाज्यता के महासूत्र की खोज की।

काँपीराइट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
भारत सरकार रत्नेश कुमार को 2013 में विभाज्यता का महासूत्र एवं दशक नियम पर, 2017 मे विभाज्यता का तीव्रतम महासूत्र पर तथा 2020 में संख्या बटे शून्य पर कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्रदान कर सम्मानित कर चुकी है। वर्तमान समय में काँपीराइट सर्टिफिकेट विश्व के 177 देशों में मान्य है।

महासूत्रों का प्रकाशन
रत्नेश शाक्य के विभाज्यता के महासूत्र तथा विभज्यता के तीव्रतम महासूत्र पर आधारित गणितीय लेख सामान्य ज्ञान दर्पण, प्रतियोगिता दर्पण, पांचजन्य, धम्म देशना, पंचशील कुशवाहा संदेश जैसी राष्ट्रीय पत्रिका में भी प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त कुछ शैक्षणिक बेवसाइट पर भी रत्नेश कुमार के महासूत्र प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न समाचार पत्र, टीवी चैनल तथा आल इण्डिया रेडियो भी रत्नेश के महासूत्रों की खोज की खबर को प्रकाशित कर चुके हैं।

रत्नेश का यूट्यूब चैनल
गणितीय सूत्रों को प्रदर्शित करने के लिए रत्नेश कुमार द्वारा बनाया गया यूट्यूब चैनल रत्नेश के महासूत्र को 20,000 से ज्यादा लोग देख चुके हैं तथा 800 से अधिक लोग सब्सक्राइब भी कर चुके हैं।

रत्नेश शाक्य को विभिन्न संस्थायें कर चुकी सम्मानित
रत्नेश कुमार को उनकी महत्वपूर्ण खोजों के लिये कई शैक्षणिक संस्थायें (उनके संस्थापक एवं उनके अध्यक्ष ) राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली, पंजाब, गौतमबुद्ध नगर, मथुरा, प्रयागराज में सम्मानित कर चुकी हैं।

Bureau