राष्ट्रीय शैक्षिक महाकुंभ में रत्नेश कुमार को राष्ट्रीय आर्यभट्ट गणित सम्मान से किया जाएगा पुरुस्कृत

भोगांव/मैनपुरी:–जनपद मैनपुरी के रत्नेश शाक्य को इस वर्ष सितम्बर माह में मौर्य बंधुत्व क्लब, उत्तर प्रदेश के द्वारा प्रतापगढ़ के श्रीराम रिसोर्ट चिलबिला में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय शैक्षिक महाकुंभ के आयोजक राम सजीवन मौर्य ने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षिक महाकुंभ 2022 के दौरान 16 वें राष्ट्रीय गणित सम्मेलन में गणित के क्षेत्र में योगदान देने के लिए विभाज्यता के महासूत्रों के खोजक रत्नेश कुमार को राष्ट्रीय आर्यभट्ट गणित सम्मान से पुरस्कृत किया जायेगा।
इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का सहयोग एवं समर्थन ऑल इंडिया रामानुजन मैथ्स क्लब, रमन साइंस सोसाइटी, ऑल इंडिया टीचर्स साइंटिस्ट्स आदि कर रहें हैं। इस महाकुंभ में विज्ञान – प्रसार और इसरो की प्रदर्शनी लगेगी।सम्पूर्ण भारत से 23 राज्यों के शिक्षाविद् एवं 20000 से अधिक विद्यार्थी प्रतिभाग करेंगे देश के नामचीनी विद्वान शिक्षकगणो का सम्मान किया जाएगा ।
इस कार्यक्रम में देश और विदेश (बांग्लादेश , मॉरिसस , भूटान , नेपाल, श्रीलंका आदि)के सैकड़ों वैज्ञानिक , गणितज्ञ, समाजसेवी , उद्यमी,कवि,बाल कलाकार , यूथ मोटीवेटर , कैरियर काउंसलर प्रतापगढ़ की धरती पर आ रहे हैं।राष्ट्रीय शैक्षिक महाकुंभ में देश भर से अलग-अलग क्षेत्रों से अलग-अलग कार्यों में कार्यरत अवार्डीज सिलेक्ट किए गये।
Bollywood celebrities, VIP Politicians व गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में सभी चयनित awardees को सम्मानित किया जाएगा।जनपद मैनपुरी के सुल्तानगंज ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय, जगतपुर के गणित शिक्षक रत्नेश कुमार जी ने विभाज्यता के नियमों का एक बहुत ही सरल सूत्र की खोजकर महारत हासिल कर ली है।
आइए जानते हैं रत्नेश कुमार जी के बारे में_ सन 2006 में , रत्नेश जी MBA की प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, उसी समय इन्होंने एक किताब में 20 तक की संख्याओं के विभाज्यता के नियम पढ़े जो कि प्रत्येक संख्या के लिए अलग- अलग थे और कठिन भी। उसी समय से आगे की संख्याओं के नियम खोजने के लिए इन्होंने काफी परिश्रम किया। 6-7 घंटे लगातार कई दिनों तक इन्होंने बहुत- सी गणनाएं की। किन्तु 2006 में सूत्र बनाने में पूरी सफलता हासिल नहीं हो सकी।
2007-2009 में MBA पास किए। उसके बाद 2009-2011 तक गैर सरकारी नौकरी किए । 2011 में विभाज्यता के महासूत्र की खोज से पूर्व ये एक कोचिंग में गणित पढ़ाते थे। यहीं पढ़ाते समय दुबारा विभाज्यता के नियम पढ़े और पढ़ाये और दोबारा कई घंटे परिश्रम किए। इस तरह 2011 में सूत्र को पूरी तरह बनाने में सफलता हासिल कर लिए। इस सूत्र की सहायता से असंख्य प्राकृतिक संख्याओं के लिए विभाज्यता के नियम कुछ ही पलों में बनाये जा सकते हैं।
सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह महासूत्र विभाज्यता के नियमों तक ही सीमित नहीं है वल्कि इसकी सहायता से असंख्य पूर्ण संख्याओं को 10 समूहों (10 संख्या परिवारों) में बांट दिया गया है। अतः यह महासूत्र सम्पूर्ण गणित के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा।महासूत्र का प्रदर्शन इस सूत्र का प्रदर्शन अब तक इनके द्वारा जनपद मैनपुरी, एटा, इटावा, इलाहाबाद (सीमेट) तथा फिरोजाबाद के लगभग 50 से अधिक इण्टर कालेज / डिग्री कालेज के साथ बी.आर.सी. सुल्तानगंज /डायट भोगाँव, मैनपुरी/ राजकीय पुस्तकालय, मैनपुरी/ जवाहर नवोदय विद्यालय, भोगाँव, मैनपुरी एवं अन्य सरकारी / गैर सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं में किया जा चुका है। इसके अलावा पंजाब, दिल्ली, मथुरा एवं गौतमबुद्ध नगर के सम्मान समारोह में विभाज्यता के महासूत्र की चर्चा कर चुके हैं।
हिमाचल प्रदेश के चितकारा विश्वविद्यालय भी में वेविनार के द्वारा महासूत्र का प्रदर्शन कर चुके है विभिन्न संस्थाओं ने इस उपयोगी खोज पर इन्हें जनपद, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर सम्मानित एवं पुरस्कृत भी किया है।प्रसिद्ध पत्रिकाओं एवं वेबसाइट में महासूत्र का प्रकाशन खोजक रत्नेश कुमार का विभाज्यता का महासूत्र पांचजन्य, सामान्य ज्ञान दर्पण, धम्मदेशना, पंचशील कुशवाहा संदेश जैसी प्रसिद्ध पत्रिकाओं एवं कुछ शैक्षिक वेबसाइट ( एजूकेशन मिरर, मानव टुडे, टाकटाइम टुडे) में प्रकाशित हो चुका है l
इन संस्थाओं के गणित के कई छात्रों / विद्वान शिक्षकों / प्रवक्ताओं/ प्रधानाध्यापकों/ प्राचार्यों/ निदेशकों ने अपने-अपने शब्दों में आश्चर्य व्यक्त करते हुए इस महासूत्र के प्रयोग, महत्व एवं उपयोगिता की भूरि-भूरि प्रशंसा की है।भारत सरकार ने इस सूत्र पर आधारित _विभाज्यता का महासूत्र एवं दशक नियम(Great Formula of Divisibility & Decade Law)_ नामक हिन्दी एवं अंग्रेजी पुस्तकों पर इन्हें कापीराइट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिया है, जो विश्व के 136 देशों में वैध है। इसकी खबर TV, AIR में आ चुकी है एवं कई बार कई अखबारों में छप चुकी है। तथा सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका।रत्नेश कुमार 8 भाई बहनों में सबसे छोटे पुत्र हैं। इनके पिता हरीराम शाक्य भोगांव विधानसभा से विधायक रहे हैं। इनकी माता शारदा देवी शाक्य कस्तूरबा गांधी बालिका इण्टर कालेज, भोगांव में संगीत की शिक्षिका रही हैं।