भगवान कृष्ण की बाल लीला सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

एलाऊ/मैनपुरी:- विकासखंड जागीर क्षेत्र के एलाऊ चौराहे पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन आचार्य पंकज मिश्र ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। श्री कृष्ण का जन्म क्षत्रिय कुल में राजा यदु कुल के वंश में हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेते ही कर्म का चयन किया।
नन्हें कृष्ण द्वारा जन्म के छठे दिन ही शकटासुर का वध कर दिया, सातवें दिन पूतना को मौत की नींद सुला दिया। तीन महीने के थे तो कान्हा ने व्योमासुर को मार गिराया। प्रभु ने बाल्यकाल में ही कालिया वध किया और सात वर्ष की आयु में गोवर्धन पर्वत को उठा कर इंद्र के अभिमान को चूर-चूर किया।
गोकुल में गोचरण किया तथा गीता का उपदेश देकर हमें कर्मयोग का ज्ञान सिखाया। प्रत्येक व्यक्ति को कर्म के माध्यम से जीवन में अग्रसर रहना चाहिए। कहा कि कृष्ण के पैदा होने के बाद कंस उनको मौत के घाट उतारने के लिए अपनी राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षस पूतना को भेजता है। पूतना वेष बदलकर भगवान श्री कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है। लेकिन भगवान श्री कृष्ण उसको मौत के घाट उतार देते हैं।
उसके बाद कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इन्द्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन का कार्यक्रम करने की तैयारी करते हैं। भगवान कृष्ण के द्वारा भगवान इन्द्र का पूजन करने से मना करते हुए गोवर्धन महाराज का पूजन करने की बात कहते हैं। इन्द्र भगवान उन बातों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं। वह अपने क्रोध से भारी वर्षा करते हैं। जिसको देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं।
भारी वर्षा को देख भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर उठाकर पूरे नगरवासियों को पर्वत के नीचे बुला लेते हैं। जिससे हार कर इन्द्र एक सप्ताह के बाद बारिश को बंद कर देते हैं। जिसके बाद ब्रज में भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन महाराज के जयकारे भक्तजन लगाने लगते हैं।
इस मौके पर महिपाल सिंह, सूरजपाल, अजमत अली, आशीष श्रीवास्तव, पुष्पेंद्र चौहान, विनोद सिंह, मुन्नू चौहान, भानू चौहान, बदनू कठेरिया, शिवपाल राठौर, अलकेश चौहान आदि सैकड़ों लोग मौजूद थे।