शहर में नियमों के विपरीत चल रही शराब की दुकानें

आबकारी विभाग के नियम तो सिर्फ फाइलों के लिए
स्कूलों और धार्मिक स्थलों के पास भी खूली शराब कि दुकानें
झाँसी /उत्तर प्रदेश:(सुलतान आब्दी)–आबकारी विभाग के अधिकारी नियम कानून को ताक पर रख सरकारी खजाना भरने में लगे हैं। फिर चाहे किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हों या बच्चों और युवकों के मन पर विपरीत असर पड़े। विभाग के अधिकारियों न तो मंदिर-मस्जिद की परवाह है और न ही अस्पतालों और शिक्षण संस्थानों की। अधिकारियों से सांठगांठ कर ठेका लेने वालों ने जहां चाहा वहीं देशी, अंग्रेजी, बीयर और भांग का ठेका खोल दिया, लेकिन विभागीय और जिला प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।
मंदिर हो मस्जिद जैसे धार्मिक स्थल, स्कूल हो या आवासीय इलाका इनके 50 मीटर के दायरे पर शराब की दुकान नहीं खोली जा सकती। इसके बावजूद आबकारी विभाग ने सारे नियमों की धज्जियां उड़ा दीं। गली-मोहल्लों से लेकर धार्मिक स्थलों के आसपास तक शराब की दुकानें खोल दी गईं।
शराब की दुकान खुलने का नियम है कि उसके 50 मीटर के दायरे में कोई भी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या कोई दूसरा धार्मिक स्थल नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है तो वहां शराब की दुकान नहीं खुल सकती। इसके बावजूद नगर में कई शराब की दुकान चल रही है। आलम यह है कि शराब की दुकान में आए लोगों की गाड़ियां मंदिर के सामने तक लग जाती है। दुकान की भीड़ और मंदिर में आए लोगों की भीड़ एक साथ सड़क पर आ जाती है। वही नगर में कई शराब की दुकानें स्कूलों के आसपास खुली हैं। स्कूल से निकलने वाले छात्राएं सहमी-सहमी सी रहती है, लेकिन उनकी यह दशा देखने वाला कोई नहीं है। नगर में अधिकांश शराब की दुकानें आवासीय इलाकों में ही खुली हैं। शहर के ज्यादातर इलाकों में आवासीय क्षेत्रों में ही शराब की दुकानें खुली हैं, जिनमें देर रात तक अराजक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। आमलोग इन शराब दुकानों से परेशान है । कुछ दुकानों को हटाने की मांग भी की जाती है। लेकिन शराब दुकानें नहीं हटती। नगर क्षेत्र में मंदिर, चिकित्सालय व व्यवसायिक क्षेत्र में स्थित शराब दुकानों के हटने का इंतजार कर रहे हैं।
नियम होने के बाद भी ज्यादा राजस्व के चक्कर में ऐसे शराब दुकानों को दूर हटाने आबकारी विभाग गंभीर नहीं है।
नगर क्षेत्र में ज्यादा राजस्व कमाने के चक्कर में आबकारी विभाग अपने ही नियम की अनदेखी करते हुए शराब दुकान (मदिरालय) चला रहा है।
शराब ठेकेदार ठेका लेते समय शहर के दुकानों पर ज्यादा रूचि लेते हैं। वजह यहां ज्यादा कमाई होती है। इसके लिए शराब दुकान भीड़भाड़ वाले रिहायशी क्षेत्र में रखा जाता है। भले ही आसपास धार्मिक स्थान या चिकित्सालय क्यों न हो। क्योंकि दूर शराब दुकान खोलने पर आमदनी कम होती है। इससे आबकारी विभाग के राजस्व को असर पड़ता है। इसलिए विभाग भी शराब दुकानों को कमाई वाले जगह पर चलाना चाहता है।
आबकारी नियम के तहत शराब के ठेके जारी करते समय शराब दुकान को धार्मिक स्थान, शैक्षणिक संस्थान, हाइवे, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, श्रमिक कालोनी से 50 मीटर दूर रखना है। लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारी शराब दुकान हटवाने में रूचि लेने के बजाए इन नियमों का तोड़ निकाल लेते हैं। जिन शिकायत पर शराब दुकान हटाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजना चाहिए उसे ही गलत बता देते हैं।