अलविदा जुमा अपने गुनाहो को अलविदा कहने का जुमा है-इबराज़ मंसूरी

भोंगाव/मैनपुरी:– समाजसेवी इबराज़ मंसूरी ने बताया कि अलविदा जुमा महीने का आखिरी जुमा होने के साथ साथ अपने गुनाहो को अलविदा कहने का भी जुमा है।हम सालभर में जाने अनजाने जो भी गलती या गुनाह करते हैं तो उसे रमज़ान में पूरे रोज़े रखकर पाक नियत के साथ इबादत करके उसे अल्लाह से माफ करा सकते है। अल्लाह रहमान ओर रहीम है वो आपके गलती गुनाहो को माफ कर देगा।आप सच्चे दिल से तौबा करे और फिर उस गलत काम को दोबारा न करे। ईमाम का कोल है इंसान के लिए हर दिन ईद है जिससे उस दिन कोई गुनाह या पाप न हुआ हो। रमज़ान में आप जिस तरह 5 टाइम की नमाज़ पड़ते हैं उसी तरह साल भर भी 5 टाइम की नमाज़ पड़े और अल्लाह से अपनी गलती गुनाहो की माफी मांगे। ईद में जिस तरह आप अपने बच्चो के लिए ईद के कपड़े लाते हैं उसी तरह अपने आस पास देखे कोई गरीब बच्चा हो तो उसके लिए भी नए कपड़े ला कर उसे दे इससे आपका अल्लाह खुश होगा। ईद पर सब गिले शिकवे भुलाकर अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ मिलकर ईद बनाये। दिल में किसी के लिए कोई बुग्ज़ न रखे और न ही किसी की गीबत यानी पीठ पीछे बुराई न करे। ईद के दिन सभी छोटो बड़ो को सलाम करे और अपने वालदैन को भी सलाम करके उनकी दुआ ले और जिनके वालदैन यानी माँ बाप नही है वो कबीरस्तान में जा कर उनकी कब्र के आगे जा कर सलाम करे और उनसे अपनी गलतियों की माफी मांगे वो वही से आपके लिए दुआ करेंगे।