आसमान ताकते रह गए किसान,कहीं भी नहीं हुई बारिश

सकरन सीतापुर जिले के हजारों किसानों ने करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर जमीन पर कर रहे खेती
सिंचाई की लागत बढ़ने से किसानों पर लदता जा रहा केसीसी के कर्ज का बोझ
सीतापुर:(नूरुद्दीन)–सूख रही फसलों की सिंचाई के लिए शुक्रवार को भी किसान आसमान ताकते रह गए। दोपहर में बादल तो दिखे, लेकिन बारिश नहीं हुई।
बता दें कि जिले के हजारों किसानों ने करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर में गन्ना की खेती की है। इस बार बारिश न होने से किसानों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। धीरे-धीरे हालत सूखा जैसे बनने लगे हैं। गहरे तालाबों को छोड़कर उथले तालाबों में पानी नहीं बचा है। गन्ना की फसल सूख रही है।
धान की रोपाई भी बाधित हो रही है। तमाम किसानों ने मौसम की बेरुखी देख धान रोपने की तैयारियों पर ब्रेक लगा दिया है। जो किसान तैयारी कर रहे हैं उनकी लागत बढ़ती जा रही है। गांवों में बिजली साथ नहीं दे रही है। नहरें भी पूरी क्षमता से नहीं चल रही हैं। ऐसे में किसानों को महंगा डीजल फूंककर सिंचाई करनी पड़ रही है। किसानों के चेहरों पर बादलों की बेरुखी की चिंता छाई है। किसानों पर लोन भी बढ़ता जा रहा है। क्रेडिट कार्ड से पैसा लोन पर किसान खेती कर रहे हैं।
बिजली मिल जाए तो सुधर जाएं हालात
सूखे से पनपी परेशानी को बिजली की आपूर्ति दूना किए दे रही है। जिले में ज्यादातर सरकारी नकलूप खराब चल रहे हैं। बिजली की कमी के चलते ट्यूबवेल पूरी क्षमता से नहीं काम कर रहे हैं। किसानों की माने तों 25 प्रतिशत गन्ना की फसल खराब हो गई है व 50 प्रतिशत से अधिक गन्ने की फसल सूखने लगी है जिससे किसान भाई काफी परेशान हैं। गन्ना की लम्बाई और खाभ दोनों प्रभावित हो रही हैं। फसलों में सूखाजनित रोग भी लगने लगे हैं। टमाटर की बेल सूख रही है।
तो वही पर टमाटर के रेट ने शतक लगा दिया है। बाकी सब्बिजयां भी महंगी हो गई हैं। खाद्यान्न के दाम भी आसमान छू रहे हैं। आंटा, दाल, घी, तेल सब महंगा हो गया है। इधर सब्जियों में हरी सब्जी क महंगाई की मार पड़ी है।