करोड़ों खर्च के बाद भी गौरीफंटा बार्डर की सडको का हाल बेहाव जिम्मेदार मौन

लखीमपुर खीरी: (नूरुद्दीन) गौरीफंटा मार्ग की दशा कई सालों से खराब चल रही है लोग इस बदहाली का ठीकरा सरकार को कोश कोश कर फोड़ रहा है उसकी भी बड़ी वजह है लम्बे अरसे से गौरीफंटा बार्डर की सड़कों का चौड़ीकरण के साथ साथ सभी आस पड़ोस के मुख्य मार्गों का भी बनना बेहद जरूरी है इसमें विभागों के साथ साथ नेपाल तथा ग्रामीण,और पर्यटकों व मालवाहक वाहनों को हो रही नुकसान से छुटकारा मिल सके आए दिन हादसे और वाहनों के पलटने से भारी नुक्सान से व्यापारियों को गुजरना पड़ता है यही नहीं इस सड़क पर चलने से दो चीजें ज्यादा सताती है पहली इस सड़क पर हादसे हो जाएं तो दूर दूर तक कोई सुविधा नहीं है यहां तक कि भारतिय नेटवर्क भी काम नहीं करता। दूसरा सड़कों की जर जर हालत और सिंगल सड़क होने के चलते घंटों तक जाम में फंसे रहते हैं जिसमें एमर्जेंसी की बात की जाए तो ऐम्बुलेंस, खाद सामग्री, तथा कई अन्य वाहन फंसे रहते हैं। लेकिन अधिकारी और समाज के ठेकेदारों की बात की जाए तो एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ कर किनारा कर लेते हैं। आपको बता दें कि गौरीफंटा सीमा के प्रवेश द्वार तक सड़क का नमोनिशान खत्म होकर सडक गड्ढे में तब्दील हो गई है । नेपाल भारत पारगमन संधि के चलते दोनों देशों के बीच आयात – निर्यात के चलते सैकड़ों माल वाहक वाहन इसी मार्ग से आते जाते रहते है । सुदूरपशिच्म प्रदेश की राजधानी भी धनगढी शहर मे है । यहां के उघोगी व्यापारियों का माल भी गौरीफंटा बार्डर से ही आता है । जर्जर सडक के चलते आएं दिन सीमा के प्रवेश द्वार तक आ चुके माल वाहक वाहन अनयंत्रित होकर पलट जाते है । जिससे व्यापारियों के माल का नुकसान तो होता ही है । कई बार चालक , हेल्फर गंभीर रुप से घायल भी हो जाते है । जब कि आएं दिन दुधवा घूमने आएं अधिकारी व नेता , वी आई पी विदेश भ्रमण जाने पर इसी मार्ग से गुजर तो जाते है । लेकिन उन्हें शयाद सडक की दुर्दशा नजर ही नही आती है। अब देखना होगा कि संबंधित विभागों में बैठे अधिकारियों इस समस्या का हल कब तक निकाल पाता है।