August 11, 2025

तेजी से हो रहे वन सम्पदा के दोहन से भविष्य में प्राणिजगत पर संकट का कारण

 तेजी से हो रहे वन सम्पदा के दोहन से भविष्य में प्राणिजगत पर संकट का कारण

लखीमपुर खीरी:(नूरुद्दीन)–साल दर साल तापमान में वृद्धि, कहीं अल्प कहीं भारी वर्षा कहीं सूखा तो कहीं बाढ़,घटता जलस्तर ये सब हमारी वन सम्पदा के लगातार ह्रास होने के कारण हैं।व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ के लिए अपने आने वाली पीढ़ी को घोर संकट में धकेलता जा रहा है।जिसमें कहीं न कहीं वन विभाग की निष्क्रियता भी शामिल है।वन सम्पदा हमारी भारतीय सभ्यता और प्राचीन संस्कृति की अमूल्य धरोहर है।

इसीलिए इसे हरा सोना भी कहा जाता है।वनों के ह्रास से पर्यावरण असंतुलित होने लगता है। हवा, पानी और मिट्टी जो वन पर आधारित है, उन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। वनस्पति की अवैध कटाई, अवैध शिकार, अवैध चराई, अग्निकाण्ड, अम्लीय वर्षा, ओजोन ह्रास, ध्वनि प्रदूषण, अनावृष्टि, नये-नये आविष्कारों का जन्म आदि वन सम्पदा के ह्रास के लिये मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं।वातावरण में उपलब्ध धुआँ, धूलकण, कार्बन, सीसा, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, सल्फर डाइआक्साइड एवं मानव जीवन को प्रदूषित करने वाली गैसों को घटाकर जीवन को सुरक्षा प्रदान करते हैं। वन सम्पदा भूमि को अपनी जड़ों द्वारा जकड़कर हवा और वर्षा की तेजधार से बचाकर मिट्टी के कटाव की सुरक्षा प्रदान करती हैं।

इनकी पत्तियाँ, टहनियाँ और फल-फूल धरती पर झड़कर सड़ते हैं, इससे धरती अधिक उपजाऊ बनती है। भारतीय कृषि की अधिकांश सफलता वर्षा मौसम पर निर्भर करती है। वर्षा वनों पर निर्भर करती है, इसलिए भारतीय कृषि वन सम्पदा पर पूर्णतया निर्भर है।वनस्पति जगत से भवन निर्माण सामग्री उपलब्ध होती है। वनों से औषधियाँ उपलब्ध होती हैं। वृक्षों से छाल, फल-फूल पत्ते और जड़ें ही नहीं, बल्कि अनेक प्रकार की जड़ी बूटियाँ भी वनों से प्राप्त होती हैं। आज देश की लगभग 16 प्रतिशत भूमि ही वनाच्छादित है। जबकि कम-से-कम 33 प्रतिशत भूमि में वन होना आवश्यक है।

वन सम्पदा के ह्रास के कुछ मुख्य कारण
जलावन के लिये वनों के वृक्षों की बड़ी मात्रा में कटाई,
कृषि कार्य के लिये वनों की कटाई,

इमारती उद्योग धन्धों के लिये लकड़ी की बड़ी मात्रा में खपत
शहरीकरण की प्रक्रिया के कारण वनों की कटाई उपाय
वन क्षेत्रों का सुरक्षा समिति के सदस्यों के माध्यम से रक्षा करना।अतिक्रमण एवं पेड़ों की कटाई-छँटाई पर नियंत्रण रखना।


जिस क्षेत्र में वृक्षारोपण की सुरक्षा का दायित्व सौंपा गया है,अगर कोई व्यक्ति उस पर कब्जा करके चोरी करके पेड़ काट रहा है या किसी अन्य प्रकार से नुकसान पहुँचा रहा है, तो उसे रोकना एवं सुरक्षा देना, वन विभाग/सुरक्षा समिति द्वारा किया जाना चाहिए।


वन क्षेत्रों को नुकसान पहुँचाने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध वन विभाग/वन पदाधिकारी द्वारा कानूनी कार्रवाई करना तथा वन सम्पदा के दोहन की सीमा निर्धारित करना।
वन मानव का सहयोगी है। मानव के जीवन में हर पल इसका साथ है। इसको कार्यरूप देते हुए समिति द्वारा इसकी देखभाल की जानी चाहिए। स्कूलों तथा कॉलेजों, कारखानों चिकित्सालय, कार्यालय के परिसर में वन एवं उद्यान विकसित करने चाहिए।

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