June 24, 2025

डॉ प्रिय रंजन आशु ने ’’एक युद्ध नशे के विरुद्ध’’ विषय पर की बैठक

 डॉ प्रिय रंजन आशु ने ’’एक युद्ध नशे के विरुद्ध’’ विषय पर की बैठक

मैनपुरी:- सदस्य उ. प्र. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग डॉ. प्रिय रंजन आशु ने ’’एक युद्ध नशे के विरुद्ध’’ विषय पर आधारित बैठक में उपस्थित अधिकारियों से कहा कि देश के भविष्य बच्चों को नशे की लत से बचाने के लिए सबको सम्मिलित रूप से प्रयास करने होंगे। उ. प्र. की आबादी मे 0 से 18 वर्ष के 40 प्रतिशत बच्चे शामिल हैं।

इन्हीं बच्चों के ऊपर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे ले जाने की जिम्मेदारी है यदि यही बच्चे बचपन से गलत संगत में पड़कर नशे के आदी होंगे तो समाज के सामने विषम परिस्थिति होंगी। उन्होने कहा कि बच्चों में बचपन से नशे की आदत के चलते उनका भविष्य अंधकारमय हो जाता है। ऐसे बच्चे परिवार के लिए ही नहीं बल्कि समाज, प्रदेश, देश के लिए भी समस्या का कारण बनते हैं, हम सबको बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा पर ध्यान देना होगा। सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षा प्रदान करानी होगी। विद्यालयों से ड्राॅप आउट बच्चों पर विशेष नजर रख उनके अभिभावकों को समझा कर बच्चों को शिक्षा प्रदान कराने के लिए प्रेरित करना होगा।


सदस्य बाल अधिकार संरक्षण ने कहा कि केंद्र, प्रदेश सरकार द्वारा बच्चों के कल्याणाथर् संचालित योजनाओं का लाभ समय से पहुंचाना होगा। शिक्षा के अधिकार से वंचित बच्चों का पंजीकरण कराकर उन्हें शिक्षित करना होगा। कुपोषण से ग्रसित बच्चों को उचित आहार, बेहतर देखभाल कर उन्हें सुपोषण की श्रेणी में लाना होगा। उन्होने जिला विद्यालय निरीक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान के 100 गज की परिधि में तंबाकू, पान, बीड़ी-सिगरेट, शराब आदि की दुकान संचालित न हो। प्रत्येक विद्यालय के गेट पर तंबाकू निषेध क्षेत्र का साइन बोर्ड लगाया जाए। विद्यालय में चिल्ड्रेन क्लब स्थापित किए जाएं।

इनमें कक्षा-06 से कक्षा12 तक के कम से कम 20-25 बच्चे शामिल रहें, यह प्रहरी समूह विद्यालयों में नशा विरुद्ध जागरूकता अभियान संचालित करें। उन्होंने कहा कि आयोग ने प्रत्येक विद्यालय के प्रधानाध्यापक को किशोर न्याय अधिनियम की धारा-77 व 78 के अंतगर्त विद्यालयों की 100 मीटर की परिधि में नशा संबंधी सामग्री बेचने पर संबंधित के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार प्रदत्त किया है। यदि किसी विद्यालय के 100 गज की परिधि में नशे के सामान की बिक्री की जाए तो प्रचार्य संबंधित के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराएं।


उन्होंने जिला कायर्क्रम अधिकारी को आदेशित करते हुए कहा कि नेतृत्व देकर बच्चों को कुपोषण से बचाने में अपना योगदान दें। कुपोषण से ग्रसित बच्चों को उचित पोषाहार उपलब्ध कराया जाए। अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनवार्स केंद्र में भर्ती कराकर उनकी सेहत सुधारी जाए। उन्होंने जिला आबकारी अधिकारी को आदेशित करते हुए कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान, कोचिंग सेंटर के 100 गज की परिधि में आबकारी दुकान का संचालन न हो। प्रत्येक आबकारी दुकान पर सीसीटीवी कैमरे स्थापित रहे।

सीसीटीवी कैमरे की फुटेज समय-समय पर चेक की जाएं। कोई भी अनुज्ञापी 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को मादक पदाथोर्ं की बिक्री न करें। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि को निर्देशित करते हुए कहा कि जनपद में संचालित अल्ट्रासाउंड सेंटर का नियमित रूप से निरीक्षण किया जाए, कोई भी अल्ट्रासाउंड सेंटर लिंग परीक्षण का कार्य किसी भी दशा में न कर सके, जनपद में संचालित मेडिकल स्टोर की भी नियमित चेकिंग की जाए, शेड्यूल एच, एच-1 और एक्स में सम्मलित दवाओं की बिक्री करने वाले सभी मेडिकल स्टोर पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, प्रत्येक मेडिकल स्टोर पर दवाओं का अलग-अलग रजिस्टर बनाया जाए।

बिना चिकित्सक के परामशर् के उक्त दवाएं 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी दशा में न दी जाएं। जिला ड्रग कंट्रोलर नियमित रूप से मेडिकल स्टोर की जांच कर उक्त निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराएं। उन्होंने कहा कि डायरिया का शत-प्रतिशत इलाज होने के बावजूद भी जानकारी के अभाव में कई बच्चों की इस बीमारी से ग्रसित होकर असमय मृत्यु हो जाती है। गांव-गांव आशा, एएनएम, आंगनवाड़ी कायर्कत्री आदि के माध्यम से बच्चों के अभिभावकों को डायरिया होने की दशा में ओआरएस का प्रयोग करने के लिए जागरूक कराया जाए।

प्रिय रंजन आशु ने श्रम प्रवतर्न अधिकारी को आदेशित करते हुए कहा कि जनपद में बाल श्रम प्रत्येक दशा में रोका जाए। नियमित रूप से संचालित ढाबों, होटलों, ईट भट्टों, बैंड-बाजे वालों की दुकानों, अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का सघन निरीक्षण किया जाए। 18 वर्ष से कम उम्र का कोई भी बच्चा बाल श्रम में संलिप्त न हो।

उन्होंने प्र. जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को निर्देशित करते हुए कहा कि जनपद में संचालित मदरसों की नियमित रूप से जांच की जाए। कोई भी अपंजीकृत मदरसा संचालित न रहे।, मदरसों में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों के साथ किसी प्रकार का दुव्यर्वहार, शोषण न हो, सुनिश्चित किया जाए। उन्होने जन-सामान्य से अपेक्षा की यदि किसी के द्वारा बच्चों का शोषण किया जाये या कोई बच्चा बाल श्रम में संलिप्त दिखे तो उसकी सूचना 1098 पर देकर जिम्मेदार नागरिक होने का फजर् निभाएं।

बैठक में निदेशक चाइल्ड लाइन यशवीर सिंह चैहान, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति मंजू चतुवेर्दी, जिला समाज कल्याण अधिकारी डा. इन्द्रा सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कमल सिंह, जिला आबकारी अधिकारी दिनेश कुमार, श्रम प्रवतर्न अधिकारी चन्दपाल, जिला खाद्य एवं औषधि अधिकारी टी.आर. रावत, जिला प्रोबेशन अधिकारी अजय पाल सिंह, बाल विकास परियोजना अधिकारी अरविन्द कुमार, सहायक पंचायत राज अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग से डा. अनिल यादव, अरविन्द सिंह भदौरिया, राजीव प्रताप सिंह, सुदीश यादव आदि उपस्थित रहे।

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