September 19, 2025
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आस्था की प्रतीक दूधली म्हाड़ी पर 29 अगस्त को उमड़ेगा कई प्रातों से भक्तों का सैलाब

 आस्था की प्रतीक दूधली म्हाड़ी पर 29 अगस्त को उमड़ेगा कई प्रातों से भक्तों का सैलाब

चरथावल/उत्तर प्रदेश:– आस्था की प्रतीक दूधली ऐतिहासिक जारवीर गोगा म्हाड़ी पर लाखों भक्तों का सैलाब उमड़ेगा। कोरोना की बंदिश के कारण पिछले दो साल मेला नहीं सजने से श्रद्घालुओं को मायूस होना पड़ा था। इस बाद 29 अगस्त को लगने वाले मेले में हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, दिल्ली से गोगा के भक्तों के आने की उम्मीद है। घरों में उत्सव सा नजारा है। मिठाई और पकवान तैयार किए जा रहे है। दूधली में अतिथि देवो भव की भावना में हर घर में रहती हैें।

दूधली गांव में स्थित जाहरवीर गोगा माढ़ी की मान्यता राजस्थान के बागड़ के बाद मानी जाती हैं। करीब पांच सौ साल से ज्यादा बात पुरानी है। बुजुर्ग शेर सिंह राणा पुंडीर बताते है दूधली के मजरे मरूवा आलमगीरपुर के एक किसान भक्त की मन्नत पूरी होने के बाद घर में जन्मे बछेरे को पैदल बागड़ (राजस्थान) में जाहरवीर को अर्पित करने पहुंच गया। बताते है जाहरवीर को खुद प्रकट होने पर ही उसने बछेरा भेंट करने का संकल्प लिया था। मान्यता है कि भक्ति से प्रसन्न होकर जाहरवीर ने खुद प्रकट होकर बछेरा लिया और भक्त किसान को गांव में माढ़ी बनाने को पांच ईंट प्रदान की।

ग्रामीण रामभूल सिंह पुंडीर बताते है उस वक्त गोगा ने किसान को वचन दिया था कि यदि ईट कहीं भी रख दोगे, तो वहां से उठेगी नहीं। लेकिन किसान उनके वादे को भूल गया और थका होने के कारण दूधली में हुक्का पीने के लिए ईटों की चादर रख दी। उसके बाद वहां से ईटं नहीं उठी और वहीं म्हाड़ी बनानी पड़ी थी। तभी यहां म्हाड़ी स्थापित की गई थी। इसी कारण म्हाड़ी की गौरव गाथा कई प्रांतों में विख्यात है। राजपूत बहुल दूधली गांव की ज्यादातर रिश्तेदारी हरियाणा में होने से वहां से लोग भारी तादात में मेले में आते है। हर साल भादो माह में यहां भव्य मेला लगता है।

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