गिद्ध की संख्या में गिरावट पर्यावरण के लिए नुकसान डॉक्टर जे पी पांडे प्राचार्य

बलरामपुर/उत्तर प्रदेश:(गुलाम नबी कुरैशी)–एम एल के पी जी कॉलेज बलरामपुर के प्राणि विज्ञान विभाग द्वारा शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध दिवस के अवसर पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में लगातार गिद्ध की संख्या में आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त की गई।
सेमिनार को संबोधित करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर जे पी पाण्डेय ने कहा कि प्रत्येक वर्ष सितम्बर माह के प्रथम शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है। पर्यावरण के संतुलन में गिद्धों का महत्वपूर्ण स्थान है। विलुप्त हो रहे प्रकृति के ये सफाई कर्मी मृत पशुओं के सड़े गले माँस को खाकर मानव जीवन को विभिन्न बीमारियों से बचाने में सहायता करने के साथ ही पर्यावरण में दुर्गन्ध फैलने से रोकते हैं। विभागाध्यक्ष प्राणि विज्ञान विभाग डॉ अशोक कुमार ने कहा कि गिद्धों की संख्या अब सिमटकर कुछ हज़ार रह गई है। इनकी संख्या में इस अप्रत्याशित कमी का कारण गाय, भैंस,बकरी आदि पालतू पशुओं के इलाज में प्रयोग होने वाली डाइक्लोफेनेक सोडियम नामक दर्द निवारण दवा है। इलाज के 72 घंटे के भीतर यदि ऐसे पशुओं की मृत्यु हो जाती है और ऐसे मृत्यु पशुओं को खाने से गिद्धों का भी अंत हो रहा है। गिद्धों की संख्या में कमी के कारण मानव जीवन पर भी संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इसलिए इनका संरक्षण जरूरी है। सेमिनार में डॉ आकांक्षा त्रिपाठी, डॉ कमलेश कुमार व मानसी पटेल ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संचालन डॉ आनंद वाजपेयी ने किया।
इस अवसर पर डॉ आर बी त्रिपाठी, वर्षा सिंह,रितु साहू,नाईबा,हर्षिता, हादिया, शिवम पाण्डेय व शिवानी सोनी आदि मौजूद रहे।