March 15, 2025

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने कैंपस में मनाया काला दिवस, कहा – जिन लोगों ने बाबरी मस्जिद शहीद की, वह आज सत्ता में बैठे हुए हैं

 अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों ने कैंपस में मनाया काला दिवस, कहा – जिन लोगों ने बाबरी मस्जिद शहीद की, वह आज सत्ता में बैठे हुए हैं

अलीगढ़/उत्तर प्रदेश:(संवाददाता जेड ए खान)- AMU में 6 दिसंबर को काला दिवस के रूप में मनाते हुए आज दर्जनों छात्रों ने एएमयू कैंपस में जोरदार प्रदर्शन किया और अल्लाह हू अकबर के नारों के साथ अन्य कई नारों से जमकर नारेबाजी की है। वहीं इस प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था की दृष्टि से अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के बाहर डीएसपी सहित एसीएम व पीएसी बल तैनात रहा। छात्रों ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने को लेकर सेकुलर पार्टियों पर आरोप लगाया वही कहा कि जिन लोगों ने मस्जिद शहीद की वहीं आज सत्ता में बैठे हुए हैं. एम छात्रों ने यह भी कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित नहीं है। छात्रों ने बताया कि आज काला दिवस इसलिए मनाया गया कि 6 दिसंबर 1992 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को वायलेशन कर अयोध्या में बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया. छात्र अबू सईद सिद्धकी ने कहा कि सेकुलरिज्म के नाम पर कुछ लोगों ने ताला खुलवाया था और हमारे मस्जिद को शहीद किया गया. यह सब होने के बाद भी मुसलमानों ने इस देश के संविधान का सम्मान रखा है और मुसलमानों ने कोई हिंसा नहीं की. छात्र अबू सईद सिद्दीकी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्षो बाद जो अयोध्या पर फैसला दिया वह मुसलमानों के लिए न्याय नहीं था. अबू सईद ने कहा कि जो आज भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं. उनके पूर्वजों ने बाबरी मस्जिद का ताला खुलवाया था. हम वह दिन नहीं भूले हैं. अबू सईद ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश अल्पसंख्यक के अधिकारों को संरक्षित नहीं कर पाई है. यह हिंदुस्तान के इतिहास में एक शर्मनाक दिन है. जो देश अपने आप को दुनिया का सबसे मजबूत लोकतांत्रिक देश कहता है. उस देश की सबसे बड़ी कोर्ट के वायलेशन कर मस्जिद शहीद की जाती है और जो लोग मस्जिद शहीद करते हैं वह आज सत्ता में बैठे हुए हैं उन पर कार्रवाई नहीं होती. एएमयू में छात्रों के आज काला दिवस मनाया. छात्रों ने बताया कि हम आने वाली नस्लों को बताएंगे कि अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थानों को किस तरीके से तोड़ा गया और किस तरह सरकार और सेर्कुलर पार्टियां खामोश है. इस घटना को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर ने कहा कि किसी तरह का प्रोटेस्ट नहीं था. कुछ छात्रों ने अपनी पर्सनल भावनाएं व्यक्त की और उसके बाद चले गए. छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट पर भी टिप्पणियां की, लेकिन प्रॉक्टर ने प्रोटेस्ट मार्च निकालने से इनकार किया .उन्होंने कहा कि दो चार लोग व्यक्तिगत अपना काला दिवस मना रहे हैं. उससे यूनिवर्सिटी का कोई ताल्लुक नहीं है इसके लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने कोई परमिशन नहीं दी।

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