September 19, 2025
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अग्रवाल रेजीडेंसीः धारा 80 की कार्यवाही कराये बिना ही विनियमित क्षेत्र ने स्वीकृत किया ले-आउट रिटायर्ड चिकित्सक व अवर अभियंता ने सरकार को लगाया लाखों रूपयें के राजस्व का चूना

 अग्रवाल रेजीडेंसीः धारा 80 की कार्यवाही कराये बिना ही विनियमित क्षेत्र ने स्वीकृत किया ले-आउट रिटायर्ड चिकित्सक व अवर अभियंता ने सरकार को लगाया लाखों रूपयें के राजस्व का चूना


रिटायर्ड चिकित्सक ने सेवाकाल के दौरान बनाई 200 करोड़े की संपत्ति

ललितपुर/उत्तर प्रदेश:(संवाददाता इमरान मंसूरी)– शहर के मोहल्ला तालाबपुरा में नहर के पास विकसित की जा रही अग्रवाल रेजीडेंसी के मामले में एक नया खुलासा हुआ है। भू-स्वामी डा. राजेन्द्र कुमार अग्रवाल ने विनियमित क्षेत्र के अवर अभियंता से सांठ-गांठ व अधिकारियों को गुमराह कर कृषि भूमि पर धारा 80 की कार्यवाही कराये बिना ले-आउट स्वीकृत करा लिया। इस प्रकार शासन को लाखों रूपयें के राजस्व की हानि विनियमित क्षेत्र ने सरकार को पहुंचाई है। जिलाधिकारी से इस प्रकरण में कार्यवाही की मांग की गयी है।


जानकारी के अनुसार शहर के अंदर हद मोहल्ला तालाबपुरा में स्थित आराजी संख्या 2488/3, 2487,3172 व 2488/1 रकवा .8860 हेक्टयेर (लगभग 2 एकड़)में स्वास्थ्य विभाग से रिटायर्ड चिकित्सक डा. राजेन्द्र कुमार अग्रवाल पुत्र शिवचरण अग्रवाल निवासी सिविल लाइन द्वारा अग्रवाल रेजीडेंसी के नाम से 1 टाउनशिप विकसित की जा रही है। इस टाउनशिप में प्रीमियम विला, डुप्लेक्स व व्यवसायिक दुकान की बिक्री की जानी है। डा. राजेन्द्र कुमार अग्रवाल ने उक्त परियोजना का ले-आउट विनियमित क्षेत्र से स्वीकृत कराया है। जिसमें बड़े पैमाने पर सरकार को राजस्व का चूना लगाया गया है।
विनियमित क्षेत्र द्वारा कोई भी कृषि भूमि पर तलपट मानचित्र/ ले-आउट स्वीकृत किया जाता है तो उस भूमि को उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 80 के अन्तर्गत कृषि भूमि से आवासीय में परिवर्तन कराना होता है। परन्तु अग्रवाल रेजीडेंसी में कृषि भूमि को आवासीय में परिवर्तित कराये बिना ही विनियमित क्षेत्र के अवर अभियंता की मिलीभगत से ले-आउट स्वीकृत करा लिया गया है। अवर अभियंता ने अधिकारियों को गुमराह कर के अग्रवाल रेजीडेंसी ललितपुर को ले-आउट दिनांक 21 मई 2022 को स्वीकृत कर दिया। इस प्रकार धारा 80 की कार्यवाही न कराने से सरकार को लाखों रूपयें के राजस्व का चूना डा. राजेन्द्र कुमार अग्रवाल द्वारा लगाया गया है। शिकायतकर्ताओं ने जिलाधिकारी को एक पत्र देकर अग्रवाल रेजीडेंसी का स्वीकृत ले-आउट निरस्त करने की मांग की है और अवर अभियंता पर भी कार्यवाही की मांग की है।



यह है भूमि का स्वरूप परिवर्तन कराने के नियम

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता में प्राविधान किया गया है कि कोई व्यक्ति कृषि भूमि पर आवासीय या व्यवसायिक गतिविधियां संचालित करता है तो उसे उप जिलाधिकारी के न्यायालय में भूमि को कृषि से आवासीय में स्वरूप परिवर्तन कराने के लिए एक वाद दायर करना होगा, जिसमें उप जिलाधिकारी तहसीलदार से रिपोर्ट तलब करेंगे और भूमि की सरकारी मालियत (कीमत) की 1 प्रतिशत धनराशि का राजस्व सरकारी कोष में जमा करना होगा व 1 प्रतिशत धनराशि के जनरल स्टाम्प शुल्क राजस्वहित में देना होगा और जिस आराजी संख्या में यह कार्यवाही की जा रही है उस आराजी संख्या के समस्त सहखातेदार के शपथपत्र भी न्यायालय को भी उपलब्ध कराने के लिए उन्हें भूमि का स्वरूप परिवर्तन कराने में कोई आपत्ति नही है। इसके बाद उपजिलाधिकारी भूमि को स्वरूप परिवर्तन जारी करने का आदेश पारित कर देंगे। इसके बाद राजस्व नकल में भूमि श्रेणी-1 से आवासीय में परिवर्तित हो जायेगी और दाखिल खारिज की कार्यवाही भी नही करानी पडे़गी। परन्तु अग्रवाल रेजीडेंसी के मामले में यह प्रक्रिया नही अपनाई गयी। रिटायर्ड चिकित्सक डा. राजेन्द्र अग्रवाल ने विनियमित क्षेत्र के अवर अभियंता से सांठ-गांठ की और अवर अभियंता ने अधिकारियों को गुमराह कर अग्रवाल रेजीडेंसी का ले-आउट स्वीकृत करा दिया। इस प्रकार शासन को लाखों रूपयें के राजस्व का चूना लगाया गया है। जिसके लिए विनियमित क्षेत्र का अवर अभियंता जिम्मेदार है।


अग्रवाल रेजीडेंसी के मालिक हर मोड़ पर सरकार को लगा रहे है राजस्व की चपत
अग्रवाल रेजीडेंसी टाउनशिप में सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व का चूना लगाया जा रहा है पहले धारा 80 की कार्यवाही कराये बिना ले-आउट स्वीकृत करा लिया गया। इसके बाद भूमि के विक्रय में भी सरकार को रिटायर्ड चिकित्सक डा. आरके अग्रवाल द्वारा लाखों रूपयें का चूना अब तक लगाया जा चुका है। कहने को तो टाउनशिप में प्रीमियम विला, डुप्लेक्स व दुकान बिक्री हो रही है। परन्तु सभी बैनामा/ रजिस्ट्री आवासीय प्लाट में कराकर स्टाम्प व निबंधन शुल्क का चूना लगाया जा रहा है। अब तक इस टाउनशिप में 10 बैनामा हुए है। सभी बैनामा आवासीय प्लाट में किये गये है और भू-स्वामी द्वारा मकान बनाकर दिया जा रहा है, जिसकी कीमत लाखों रूपये में है। जब समाचार पत्र ने मामला उछाला तो सब रजिस्टार की नींद खुली वह मालियत से दोगुनी कीमत बैनामा में अंकित कराकर स्टाम्प लेने लगे। जबकि शुरूआत में आवासीय प्लाट की कीमत पर ही स्टाम्प शुल्क अदा किया गया है। जिसकी जांच अब की जा रही है। प्रारंभिक जांच में बड़े पेमाने पर स्टाम्प चोरी की पुष्टि हुई है।

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