दीन दुनियाँ को त्याग स्वर्ग सिधारे हेमंत गिरी महाराज

दीन दुनियाँ को त्याग स्वर्ग सिधारे हेमंत गिरी महाराज
बिलख बिलख कर रोये श्रद्धालु, नम आंखों के बीच ली भू समाधी
एटा/उत्तर प्रदेश:(संवाददाता वैभव पचौरी)– अनगिनत परिवारों के दुख दरिद्र दूर करने बाले आवाहन अखाड़ा दशाश्वमेध घाट काशी के सदस्य 64 वर्षीय सन्यासी हेमन्त गिरी जी महाराज आज दिन दुनियाँ से विदा लेकर ब्रह्मलीन हो गये । शोक के समय रोते बिलखते साधू सन्त एवं शिष्यों भक्तों के रूप में उमड़ी भारी भीड़ की नम आंखों के समक्ष सन्यासी बाबा ने भू समाधी ली । शोक के समय मौजूद आवाहन अखाड़ा के संत रमन गिरि सन्यासी, नगला भजना के महंत अशोक गिरी महाराज, पर्वत गिरी महाराज रामानंद महाराज, संत राजीव लोधेश्वर महाराज और ब्रह्मलीन हेमन्त गिरी महाराज के सेवादार जुगेंद्र, प्रवेश, हरिओम, राजू भारतीय, कौशल, विशेष, मनोज यादव अलीगढ़ आदि ने बताया कि आवाहन अखाड़ा दशाश्वमेध घाट काशी रजि 490 उत्तर प्रदेश 13 मणि सोरो परिवार के महंत नागा अन्य त्यागी सन्यासी ब्रह्मलीन 64 वर्षीय हेमन्त गिरि जी महाराज का जन्म 1958 में जिला एटा के गाँव कवार में हुआ था, किशोर अवस्था में ही गिरी महाराज जी की रुचि धार्मिक और सामाजिकता की ओर बड़ी, इस तरह अब से 30 वर्ष पूर्व उन्होंने ईश्वर भक्ति और समाज कल्याण में अन्न त्याग दिया उनके परम् गुरु 110 वर्षीय सोमबार गिरी महाराज 2016 में ब्रह्मलीन हो चुके उसके बाद हेमंत गिरी महाराज ने दुखियों के दुख दूर करने को प्रतिदिन हवन पूजन करके ईश्वर भक्ति अत्यधिक समय देना शुरू कर दिया । जानकारों के मुताबिक जो भी दुख मुशीबत के मारे उनके आश्रम पर पहुचा उसके दुख दूर हुये । कई वर्षों से आश्रम आ रहे श्रद्धालुजन बताते हैं कि आश्रम आते भक्तजन सबसे पहले आश्रम में विराजमान सभी देवी देवताओं के चरणों में अपना शीश झुकाते और धूप अगरबत्ती लगाते उसके बाद गुरु हेमंत गिरी जी महाराज के समक्ष अपना दुख बताते, ईश्वर की कृपा और गुरु के आशीर्बाद से दुखियों के दुख दूर हो जाते । इसी आस्था और विश्वास के चलते गुरु हेमंत गिरी महाराज दूर दूर तक विख्यात हो गये । आवाह अखाड़ा के संत एवं हेमंत गिरी महाराज के गुरु भाई शांति गिरि महाराज बताते हैं कि हेमंत गिरी महाराज को मूँगा मोतियों का अच्छा ज्ञान था वो अपने यहां आने बाले दुखियारों के दुख मूंगा मोती देकर भी दूर कर देते हैं । शोक के समय भारी संख्या में ग्रामीण, साधू, सन्त, सन्यासी, पत्रकार और दूर दराज से पहुचे लोग मौजूद रहे ।