गणितज्ञ रत्नेश शाक्य ने किया संख्या बटे शून्य, शून्य बटे शून्य तथा विभाज्यता के महासूत्रों का प्रदर्शन

मैनपुरी/उत्तर प्रदेश:–गणितज्ञ रत्नेश शाक्य ने राजकीय जिला पुस्तकालय मैनपुरी में स्वयं द्वारा खोजे गये सूत्र संख्या बटे शून्य, शून्य बटे शून्य तथा विभाज्यता के महासूत्रों का प्रदर्शन किया गया। जिला विद्यालय निरीक्षक महोदय, मैनपुरी श्री मनोज कुमार वर्मा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, मैनपुरी सुश्री दीपिका गुप्ता जीतथा जिला पुस्तकालय अध्यक्ष श्री संजय यादव के निर्देश पर माध्यमिक तथा बेसिक के गणित शिक्षकों के साथ गणित प्रेमियों ने बढ़चड़ कर प्रतिभाग किया। इनके अलावा अन्य जनपदों से भी गणित प्रेमी आये जिससे पूरा हाँल भर गया। रत्नेश शाक्य ने बताया कि यदि किसी धनात्मक संख्या में शून्य का भाग दें तो उत्तर उस संख्या से अधिक आता है। संख्या बटे शून्य प्रकार की संख्याओं को रत्नेश ने प्रतिशून्य नाम दिया। रत्नेश ने सिद्ध किया कि यदि एक प्रतिशून्य संख्या का भाग दूसरी प्रतिशून्य संख्या में दिया जाता है तो शून्य बटे शून्य का मान शून्य आता है। जबकि एक प्रतिशून्य संख्या को दूसरी प्रतिशून्य संख्याnमें जोडा़ या घटाया जाता है तो शून्य बटे शून्य का मान एक आता है। सभी उपस्थित गणित शिक्षक रत्नेश शाक्य के संख्या बटे शून्य के मान से संतुष्ट दिखाई दिये। कई गणित शिक्षकों ने रत्नेश से विभिन्न प्रश्न किये जिसका रत्नेश ने कुशलतापूर्वक उत्तर दिया और शिक्षकों की जिज्ञासाओं को शांत किया।
चित्रगुप्त इंटर कॉलेज मैनपुरी के गणित शिक्षक आनंद शाक्य ने कहा कि अभी तक हमारी अवधारणा थी की संख्या बटे 0 का मान अनंत है परंतु रत्नेश शाक्य ने आज बहुत ही सरलता से स्पष्ट कर दिया कि यदि किसी संख्या में 0 का भाग दे तो उसका मान उस धनात्मक संख्या से अधिक आता है।
डीएवी इंटर कॉलेज मैनपुरी के शिक्षक सूरज राम राजपूत ने कहा कि रत्नेश शाक्य के प्रदर्शन से सिद्ध होता है कि संख्या बटे शून्य अर्थात प्रतिशून्य संख्याओं के लिए शून्य बटे शून्य का मान शून्य तथा शून्य बटे शून्य का मान एक भी हो सकता है। यह परिस्थिति विशेष पर निर्भर करता है।
कम्पोजिट विद्यालय नगला स्नेही घिरोर के सहायक अध्यापक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि रत्नेश शाक्य के द्वारा समझाये गये महासूत्र बहुत ही सराहनीय हैं। विभाज्यता के महासूत्रों से छात्रों को विभाज्यता के नियम समझने में बहुत ही मदद मिलेगी।
जी एच एस परोख, बेवर मैनपुरी के शिक्षक संजय कुमार ने कहा कि विभाज्यता के दोनों महासूत्र बहुत ही अच्छे हैं इनकी सहायता से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को संख्या पद्धति से संबंधित विभाज्यता के प्रश्नों को हल करने में बहुत ही कम समय लगेगा उन्होंने रत्नेश का कार्य बहुत ही सराहनीय बताया। कम्पोजिट विद्यालय जगतपुर के प्रधानाध्यापक फूल सिंह ने कहा कि रत्नेश के विभाज्यता के महासूत्र अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
एटा अलीगंज से आए न्यू दस्तक क्लासेस के गणित शिक्षक अनुभव शाक्य, प्रवेंद्र शाक्य, रामपाल राजपूत और प्रशांत पाल ने बताया कि विभाज्यता के दोनों महासूत्र सरल तथा बहुत ही उपयोगी हैं।
एटा अलीगंज उत्तम क्लासेस के गणित शिक्षक योगेंद्र शाक्य ने कहा कि विभाज्यता के महासूत्रों की खोज अकल्पनीय है।
विभाज्यता का महासूत्र गणित के क्षेत्र में क्रांतिकारी सिद्ध होगा। श्री नेहरू स्मारक इंटर कॉलेज समान मैनपुरी के अध्यापक प्रमोद कुमार ने कहा कि विभाज्यता के महासूत्र की खोज होने के कारण अब अलग-अलग संख्याओं के लिए अलग-अलग सूत्र याद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि अब रत्नेश महासूत्र से ही प्रत्येक प्राकृतिक संख्याओं के लिए विभाज्यता के नियम बनाना संभव हो गया है।
रत्नेश इससे पूर्व अपने द्वारा खोजे गये महासूत्रों का प्रदर्शन उत्तर प्रदेश के 100 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों में कर चुके हैं। विभिन्न संस्थायें रत्नेश कुमार को खोज कार्य हेतु दिल्ली, पंजाब, गौतमबुद्ध नगर, मथुरा, प्रयागराज, फिरोजाबाद, इटावा, मैनपुरी आदि में सम्मानित भी कर चुकी हैं। उपस्थित गणित शिक्षकों ने रत्नेश के संख्या बटे शून्य तथा शून्य बटे शून्य के मान को सही और तार्किक पाया और रत्नेश को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं।