प्रियाहीन डरपत मन मोरा”हद हो गई है भाई,,,आकाश में बादलों की गर्जना से मन डरने लग जाय तो क्या सोचें कि त्रेता है या कलयुग,,,

लेखक जनार्दन यादव, पूर्व बीएसएफ
लखनऊ:– घन घमंड गरजत चहुं ओरा”किसी से ना कहना*” फिल्म के डायरेक्टर हृषिकेश मुखर्जी ने वर्ष 1983 में फिल्म बनाई थी, वे ख़ैर मना रहे होंगे स्वर्ग में कि बकलोल दिल्ली पुलिस की पकड़ उनके गर्दन तक नहीं पहुंची।
आज जब हम बेगुनाहों को वहशी हिंदुत्ववादियों के हाथो जन गंवाते देखते हैं तो प्रश्न उठना लाजिमी हो जाता है। अंधविश्वास,अराजकता,नफरती तत्वों से समाज को बचाए रखने में प्रयत्नशील दिल्ली के जाने माने पत्रकार मोहम्मद जुबैर जो आल्टन्यूज पोर्टल चलाते हैं गिरफ्तार कर लिया गया। हिंदुत्व की पहलवानी पंचायती करने वाले लंगोटनी संतों को ये रास नहीं आ रहा था कि उनकी लंगोट की डोरी का डोरा कोई छुए।
27जून सोमवार को दिल्ली पुलिस ने जुबैर को पूछताछ के लिए बुलाया। जुबैर पर जो मुकदमा दर्ज है उससे पुलिस पूछताछ तो कर सकती है गिरफ्तार नहीं, क्योंकि हाईकोर्ट ने गिरफ्तार न करने का आदेश दे रखा है। तब क्यों पुलिस एक गुमनाम ट्वीट के शिकायत पर जहां एफआईआर भी दर्ज नहीं है गिरफ्तार कर लेती है? प्रतीक सिन्हा जो पत्रकार जुबैर के साथी हैं उनका कहना है।
इमरजेंसी की ज्यादतियों को कोसते हैं परंतु बिना एलानिया इमरजेंसी के इमरजेंसी से भी बदतर हालात में आज देशवासी जी रहें हैं। गणेश छाप बीड़ी जलाकर धुआं फेकेंगे,राम तंबाकू चबाओगे तब हिंदुत्व की मर्यादा छिन्नभिन्न नहीं होगी। बंदर छाप मंजन रगड़ोगे तब हनुमान की आस्था आहत नहीं होगी।
आस्था आहत होगी हनुमान होटल में हनीमून कोई कैसे मनाएगा तब। बदलते परिवेश में स्वयं को बदलिए,लोप होते लोकतंत्र को स्वस्थ बनाए रखने का पुरजोर प्रयत्न कीजिए। आज पत्रकारों की एक ऐसी जमात तैयार कर दी गई है जो नोटबंदी से लेकर अग्निपथ तक की नाकामयाबियों को उपलब्धियां बता बता कर जनता को बरगलाते हुए अपने आराध्य का गुणगान करती रहती है।
तीस्ता,श्रीकुमार,जुबैर,संजीव भट्ट,गौतम नवलखा,सुधा भारद्वाज,रोना विल्सन,कवि वरवर राव,आनंद तेलतवंदे,उमर खालिद,सिद्धि कप्पन आदि को राजद्रोह,धर्म का अपमान ,आतंकवाद, वैमंश्य फैलाने जैसे आरोपों की आड़ में जेल के सिकचों में बंद कर दिया जाता है।
जिन धाराओं में पत्रकार जुबैर को गिरफ्तार किया गया है उन्हीं धाराओं में नूपुर शर्मा,नवीन जिंदल, यति नरसिंघान्द पर मुकदमें दर्ज है.पर उनमें कोई गिफ्तार नहीं हुआ। शासन के साथ गलबहियां डाले वे छुट्टे घूम रहे हैं।
पत्रकार जुबैर ने 83में बानी फिल्म के एक दृश्य में एक देशी होटल के नामपट्ट में “हनीमून होटल”का अक्षरों में फेरबदल से “हनुमान होटल” किया दिखाया गया था।”संस्कारी होटल” का सांकेतिक प्रयोग करते हुए आज के हालात पर चुटकी ली गई थी ट्वीट के माध्यम से, फिल्म में होटल मालिक नायक नायिका को बताता है कि उनके वक्त में हनीमून जैसी रिवायत नहीं थी इसलिए नाम बदल दिया।
दिलचस्प तो यह है कि इस ट्वीट पर शिकायतकर्ता का नाम पता भी साफ साफ नहीं है। पुलिस इसी शिकायत को आधार बनाकर गिरफ्तार कर ली है। कई साल पहले के ट्वीट पर हंगामा खड़ा करना,असल व ज्वलंत मुद्दों को भटकाना नहीं तो और क्या है।