त्रिकोलिया ग्राम में आयोजित बरसाईत मेले में पहली बार हुआ ऐतिहासिक व भव्य कवि सम्मेलन

कवियों ने श्रेष्ठ काव्यपाठ कर बटोरी तालियां
लखीमपुर खीरी:(नूरुद्दीन)– त्रिकोलिया- पढुवा में विगत कई वर्षों से आयोजित सुप्रसिद्ध बरसाईत मेले में इस वर्ष पहली बार भव्य कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें राष्ट्रीय व अंतर्जनपदीय कवियों ने काव्यपाठ किया।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ व्यापार मण्डल के जिला महामंत्री अमित महाजन, त्रिकोलिया ग्राम प्रधान होरीलाल यादव,पढुवा ग्राम प्रधान प्रतिनिधि महमूद अली द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण कर किया गया। ततपश्चात वरिष्ठ कवि राजेन्द्र प्रसाद तिवारी के द्वारा सरस्वती वंदना की गई।
इसके पश्चात देर रात तक चले कवि सम्मेलन में कवियों ने काव्यपाठ कर श्रोताओं की वाहवाही तालियों के जरिये बटोरी। अवधी के प्रख्यात राष्ट्रीय कवि फारूक सरल ने अपनी कविता बताओ रमजानी अब का करिहौ.
हारि गएउ परधानी अब का करिहौ.
प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं को देर तक तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
श्रृंगार रस की विख्यात कवियत्री रंजना हया ने
चैन पा ले जिगर फिर चली जाउंगी.
देख लूँ इक नजर फिर चली जाऊंगी.
पर लोगों की वाहवाही लूटी।
वरिष्ठ कवि राजेन्द्र तिवारी ‘कंटक’ ने अपनी कविता
निकली है गोरी कोई बन ठन के.
रूप का उजाला आया बन ठन के.
कौमी एकता पर कवि दीपक पण्डित ने
बात आ गई लिखने की तो सबको अपनी जान लिखा.
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई सबका हिंदुस्तान लिखा.
व्यंग्यकार संजीव मिश्र व्योम ने
बुरा कहो न बुरा सुनो बुरा न देखो प्यारे.
बापू तेरे सारे बंदर कहाँ खो गए सारे.
हास्य के मशहूर कवि कमल पाण्डेय’कमल’ ने
डांस का फैशन ऐसा जागा जैसे जादू टोना है.
लड़का खुद का जैकसन समझति लड़की समझति मैडोना है.
मितौली से आये कवि अमित कैथवार ने अपनी कविता
हमारे जिस्म का कोई भी हिस्सा काटकर देखो.
हमारे जिस्म की नस नस में हिंदुस्तान बहता है.
सहित कविगणों द्वारा हास्य,श्रृंगार, वीर,व्यंग्य, विरह की अनेको हास्य कविताओं व गजलों की प्रस्तुति कर दर्शकों को काव्यपाठ के आनन्द से सराबोर कर दिया।