झांसी में पनप रहे नित नये भू-माफिया

- नगर निगम ने घोषित किये थे 15 भू माफिया, अब बचे हैं 11
- कुछ के कब्जे से मुक्त राई नगर निगम की
भूमि - कुछ के खिलाफ कच्छप गति से चल रही कार्यवाही
झांसी/उत्तर प्रदेश:(संवाददाता सुल्तान आब्दी)– ।बीते कुछ वर्षों में जैसे-जैसे महानगर का विकास होता गया वैसे-वैसे जालसाजों द्वारा सरकारी भूमि पर कब्जे करने की घटनाएं बढ़ीं हैं। सरकारी भूमि पर कब्जा करने वाले गरीब निर्धन से लेकर करोड़पति तक हैं। नगर निगम सिर्फ गरीब व्यक्ति के खिलाफ ही सख्ती से कार्यवाही कर पाता है, असरदार लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती। हां, जिन लोगों के खिलाफ नगर निगम कोई कार्यवाही नहीं कर पाता तो उन्हें भू-माफिया घोषित कर देता है । नगर निगम की इस कार्यवाही से उक्त भू-माफिया का तो कुछ नहीं बिगड़ता बल्कि जमीन कारोबार के क्षेत्र में उसका रुतबा बढ़ जाता और आतंक जरूर पैदा हो जाता है ।
महानगर के विकास के साथ-साथ यहां जमीन की कमी पड़ती जा रही है। एक ओर गरीब और आश्रयहीन लोगों ने खाली पड़ी सरकारी भूमि पर रहने के लिये झोपड़ियां बना लेते हैं तो दूसरी ओर भूमि का कारोबार करने वाले सरकारी जमीन पर बाकायदा प्लाटिंग करके ऊंची कीमत पर बेच रहे हैं। जब स्थानीय पार्षद सदन में सरकारी जमीन पर कब्जे का मुद्दा उठाते हुए भूमि को कब्जामुक्त कराने की मांग करते हैं तो कार्यवाही उन लोगों पर की जाती है जिन्होंने जालसाजों से जमीन खरीदकर अपने मकान बनाये थे। ऐसे में जालसाज भू कारोबारी तो बच जाते हैं और उन लोगों पर मार पड़ती है जिन्होंने जीवन भर की गाढ़ी कमाई देकर जमीन खरीदी थी। नगर निगम उन भू कारोबारियों के खिलाफ कुछ नहीं कर पाता है. ऐसे में इन लोगों का हौसला बढ़ता जाता है। बीते कुछ वर्ष पूर्व जब नगर निगम में समीपवर्ती गांवों को शामिल किया गया था तब यहां जमीन की कीमत बहुत कम थी, परंतु बाद में यहां जमीन की कीमत बहुत बढ़ गयी । झांसी महानगर के बिजौली, सिगरी, करारी, हंसारी गिर्द,सिमरधा,गढ़िया गांव, पिछोर, लहर गिर्द आदि वह क्षेत्र हैं जहां तेजी से विकास हो रहा है । नित नयी कालोनियां बन रहीं हैं । यहीं भू कारोबारी सक्रिय हैं।
नगर निगम की रिपोर्ट के अनुसार इन क्षेत्रों में करीब दर्जनों एकड़ भूमि पर कब्जा हुआ था, जिनमें से कुछ भूमि को तो कब्जामुक्त करा लिया गया। कुछ के खिलाफ कागजी कार्यवाही चल रही है। कुछ कब्जाधारकों ने न्यायालय की शरण ले ली, जिससे फिलहाल कब्जा नहीं हटाया जा सका। बीते वर्षों में नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में एक सदस्य ने सवाल पूछा था कि नगर निगम की कितनी भूमि पर कब्जे हुए हैं। इनमें से बड़े कब्जाधारकों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी?
इस पर बताया गया कि कब्जाधारकों को भू-माफिया घोषित करके उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गयी है। पार्षद का सवाल था कि क्या भूमि को कब्जामुक्त कराने की कोई कार्यवाही की गयी । इसकी सवाल का नगर निगम के
अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं था । वहीं नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार वर्ष 2021में 15 लोगों को भू माफिया घोषित किया गया था । अब वर्ष 2023 में नगर निगम के अनुसार 11 भू माफिया घोषित किये गए हैं। जिनमें से बीते वर्षों में सिमरधा से 0.206 हेक्टेयर, बिजौली से . 975 हेक्टेयर, बिजौली से ही . 137, हंसारी गिर्द से 2 हेक्टेयर को कब्जामुक्त कराया गया। वहीं सिगर्रा में सरकारी भूमि पर बने सागौन के बगीचे को कब्जामुक्त कराया गया। करारी में सरकारी भूमि पर बनी चाहरदीवारी को ढहाया गया । अब गढ़िया गांव से 6 एकड़ भूमि, लहरगिर्द में 1.914 हेक्टेयर भूमि सहित पिछोर, बिजौली, सिमरधा व लहरगिर्द में कब्जाधारकों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है, परंतु अब तक जमीन को कब्जामुक्त नहीं कराया जा सका है।
कैसे घोषित होते हैं
भू-माफिया?
नगर निगम के अनुसार सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ भू-माफिया की कार्यवाही की जाती है। इसके लिए कब्जाधारकों की शिकायत जिला प्रशासन से की जाती है। जिला प्रशासन इस शिकायत की जांच कराता है, यदि शिकायत सत्य पायी जाती है तो उक्त कब्जाधारक के खिलाफ भू-माफिया की कार्यवाही का जाती है ।