हमीरपुर में बाढ़ के बाद अब बाढ़ पीड़ितों के लिए मुसीबत बनी पूस की रातें, घास फूस की झोपडी में आग के सहारे काट रहे हैं रातें

हमीरपुर/उत्तर प्रदेश:(संवाददाता अमित नामदेव)- हमीरपुर में हर साल की तरह इस बार भी बाढ़ आई थी, जिसने सैकड़ों घरों को अपनी आगोश में लिया था। जिसके बाद कुछ लोगों को घर बनाने के लिए सरकार की तरफ से राहत मिली थी, लेकिन कुछ अभी भी बिना छत के घास फूस की झोपडी बना कर गुज़र बसर कर रहे हैं। ऐसे में उनके सामने इस साल की ठंढ आफत बनी हुई है, गलन भरी ठंढ और सर्द हवाओं के थपेड़ों के बीच पहाड़ जैसी रात गुज़ारना इनके सामने मुसीबत का सबब बना हुआ है। ऐसे में यह लोग पूरी उरी रात आग के सहारे गुज़ार रहे हैं।
पूरा मामला हमीरपुर मुख्यालय का मेरापुर इलाका ऐसा इलाका है जो यमुना और बेतवा के बीच में बसा है। इस इलाके में हर साल बाढ़ आती है, और तमाम घरों को अपनी आगोश में लेती है, और कुछ घरों को अपने साथ बहा कर ले जाती है। इस साल भी यहाँ रिकार्ड बाढ़ आई थी जिसमें सैकड़ों घर गिरे थे। जिनमें से ज़्यादातर को सरकारी सहायता मिली तो उन्होंने अपना घर बना लिया लेकिन आधा दर्जन परिवार ऐसे रह गए जिन्हें अभी तक सहायता नहीं मिल सकी, जिसकी वजह से उन्हें घास फूस की झोपी बना कर उसमें गुज़र बसर करना पड़ रहा है। इन परिवारों के सामने पूस की यह रातें आफत बनी हुई है। गलन भरी ठंढ में दिन तो इनका जैसे तैसे कट जाता है लेकिन रात काटने के लिए इन्हें आग का सहारा लेना पड़ रहा है। मेरापुर के रहने वाले धर्मेन्द्र, बरातीलाल, विजय, संतराम और जगरानी ने बताया की उनका मकान बाढ़ में बह गया। अब उन्हें पट्टे की ज़मीन की आवश्यकता है, जिसपर वह अपना कच्चा मकान बना लें और सर छिप सके। लेकिन अभी तक इन लोगों को प्रशासन की तरफ से राहत नहीं मिली तो घास फूस की झोपडी बना कर उसी में गुज़र बसर करना पड़ रहा है।