51 वा गोल्डन जुबली तरही मुशायरा हुआ संपन्न

लखीमपुर खीरी/उत्तर प्रदेश:(संवाददाता चांद मियां)– हर साल की तरह इस साल भी बज़्म सागर ए हरम की जानिब से तरही मुशयरा मिसरा तरह “सुबूत पेश करो तुम नबी की उल्फ़त का” के तहत धूम धाम से मनाया गया। जिसमे मुकामी शायरों के अलावा बैरुनी शायरों ने भी हिस्सा लिया।
प्राप्त जानकारी के बज़्म सागर ए हरम का यह इक्यावनवां मुशायरा था जो गोल्डन जुबली के तौर पर मनाया गया इस मुशायरे की बुनियाद मरहूम हाकिम मंजूर हुसैन सागर उस्ताद शायर ने अपने पहले हज के मौक़े पर आज से पचास साल पहले रखी थी। जो पाबंदी के वह अपनी ज़िंदगी में करते रहे। उनकी वफात के बाद इस रस्म को उसी खुलूस से उनके बेटे शकील खान सागर, जमील खान और शम्मू उर्फ नबील खान मानते आ रहे हैं। मुशायरे की सदारत अल्लामा मौलाना रईस अहमद नदवी ने की और निजामत इक़बाल अकरम वारसी ने की। मेहमाने ख़ुसूसी के तौर पर सहाबी हाशमी लखनऊ ने की।
शायरों के चंद पसंदीदा शेर प्रस्तुत हैं
ख़ुदा खुद ही किया ज़िक्र उनकी अज़मत का।
अहाता कैसे करे अक्ल उनकी रिफ़अत का।।
डा शफी सीतापुरी
बचाओ बेटी कहा सबसे पहले आक़ा ने।
बढ़ा है उनसे ही दर्जा हर एक औरत का।।
इलियास चिश्ती
अँधेरा दूर किया आपने जिहालत का।
चिराग़ रब ने बनाया तुम्हे हिदायत का।।
असमा सबा ख्वाजा
न तख्तो ताज का तालिब हूँ न हुकूमत का।
मेरे ख़ुदा मै हूँ तालिब तेरी इनायत का।।
हबीब फैसल गोला
मिला रसूल से तोहफा ख़ुदा की वहदत का।
ख़ुदा से पाया है तोहफा रसूले रहमत का।।
निहाल रज़ा बरकती
नमाज़ रोज़े का कुरआन की तिलावत का।
ख़याल रखो हमेशा हर इक इबादत का।।
उमर हनीफ
ख़ुदा की और रसूले ख़ुदा की ताअत का।
तकाज़ा जिन्नों बशर से है दीने फितरत का।।
विकास सहाय
इनके अलावा कादिर लखीम्पुरी डा अखलाक हरगामी, मुजीब सीतापूरी, शबनम सीतापुरी ने अपना कलाम पेश किया इस मौक़े अवधेश सिंघ एडवोकेट, अंकुर शुक्ला, हाजी इलियास, रहमत अली मिर्जा, इक़बाल बैग, इकराम अंसारी, अदनान, अरसलान, मश्कूर हुसैन एडवोकेट के अलावा सैकड़ों लीग उपस्थित रहे।
इस अवसर डा साफी