पीपीओ ने बताए किसानों को भूमि व बीज शोधन के उपाय

लखीमपुर खीरी:(ब्यूरो रिपोर्ट)-किसानों को अच्छी फसल प्राप्त कराने के लिए जिला कृषि रक्षा विभाग द्वारा बीजों की बुवाई से पूर्व भूमि शोधन करने व बीज शोधन करने उपाय बताए गए। कहा गया कि अच्छी बीमारी रहित अच्छी पैदावार पाने के लिए बीज व भूमि शोधन करना आवश्यक है। उक्त आशय की जानकारी जिला कृषि रक्षा अधिकारी सत्येंद्र सिंह ने दी।
पीपीओ ने किसान भाइयों को एक परिपत्र जारी करके बताया कि फसलों में कीट-रोग का संक्रमण, प्रसार विभिन्न माध्यमों यथा बीज, मृदा, वायु एवं जल से होता है। कीट रोग का प्रकोप व्यापक रूप से होने के बाद उसका नियंत्रण खर्चीला व कठिन हो जाता है जबकि फसलों की बुवाई से पूर्व बीज शोधन एवं भूमि शोधन कर लेने से भूमि एवं बीज के साथ संलग्न रोगों के बीजाणु तथा कीटों के अण्डाणु एवं लार्वा नष्ट हो जाते हैं। आगामी खरीफ फसलों की बुवाई के पूर्व निम्न प्रकार से भूमि शोधन एवं बीज शोधन करना उचित होगा।
जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने आह्वान किया कि किसानों को इस जानकारी से अधिक से अधिक लाभ पहुँचाने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र, विज्ञान क्लब, कृषि तकनीकि अभिकरण, विभिन्न विद्यार्थी संगठनों और प्रगतिशील किसानों को आगे आकर किसानों को जागरूक करना चाहिए, ताकि जनपद के किसानों की रबी फसल अच्छी पैदावार हो और किसानों में खुशहाली आए।
भूमि शोधन : भूमि की गहरी जुताई करें जिससे गर्मियों में रोग-कीटों के बीजाणु, अण्डाणु एवं लार्वा नष्ट हो जायें। अन्तिम जुताई के समय निम्न विधियों से भूमि शोधन करना चाहिए। दीमक के प्रकोप की सम्भावना होने पर ब्यूवेरिया बैसियाना 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर अथवा क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशन ईसी 2-3 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि शोधन करना चाहिए। धान की फसल को झोंका रोग (बलास्ट) से बचाव हेतु स्यूडोमोनास फ्लोरीसेंस द्वारा 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से भूमि शोधन कर लेना चाहिए। अरहर, उर्द, मॅूग एवं मूॅगफली की फसल को जड़ सड़न एवं उकठा रोग से बचाव हेतु 2.5 किग्रा ट्राइकोडरमा को 60-70 किग्रा गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर आखिरी जुताई के समय भूमि शोधन करना चाहिए।
बीज शोधन : खरीफ फसलों का बीज शोधन निम्न विधियों से करना चाहिए। धान की फसल को झोंका रोग (बलास्ट) से बचाव हेतु 10 ग्राम स्यूडोमोनास फ्लोरीसेंस द्वारा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज शोधन करना चाहिए। धान का कण्डुआ (फाल्स स्मट) रोग से बचाव हेतु 4 से 5 ग्राम ट्राइकोडरमा अथवा 2.5 ग्राम थीरम या 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किग्रा0 बीज की दर से बीज शोधन करना चाहिए। धान की फसल में जीवाणु पत्ती झुलसा (बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट) से बचाव हेतु स्ट्रोप्टोमाइसीन सल्फेट 90 प्रतिशत टैट्रासाईक्लिन हाईड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत के द्वारा बीज शोधन करना चाहिए। दलहनी फसलों जैसे अरहर, उर्द, मूॅग को उकठा एवं जड़ सड़न रोग से बचाव हेतु चार ग्राम ट्राइकोडरमा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज शोधन करना चाहिए।