कासगंज में स्वास्थ्य विभाग की सरपरस्ती में संचालित हैं दर्जनों अस्पताल, एम्बुलेंस संचालक बने बैठे डॉक्टर और एमडी।

कासगंज/उत्तर प्रदेश:(ब्यूरो रिपोर्ट)– यूपी के कासगंज में 2 दिन पूर्व हुई प्रसूता की मौत मामले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, लेकिन मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस अपनी कार्रवाई में जुटी हुई है।
प्रभारी निरीक्षक कासगंज बीपी गिरी ने बताया कि आरोपियों की तलाश में संभावित स्थानों पर दविश दी जा रही है, शीघ्र ही आरोपी सलाखों के पीछे होंगे।
इसके अलावा सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए प्रभारी निरीक्षक कासगंज बीपी गिरी ने सीएमओ को पत्र लिख कासगंज शहर में संचालित वैध अस्पतालों की सूची औऱ वहां काम कर रहे डॉक्टरों की जानकारी मांगी है, सूत्रों के मुताबिक़ स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सूची मिल जाने के बाद पुलिस अवैध अस्पतालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेगी।
बतातें चलें कि स्वास्थ्य विभाग की सरपरस्ती में जिले के कासगंज, सहावर, गंजडुंडवारा, सिढ़पुरा, सोरों अमांपुर व पटियाली में दर्जनों अस्पताल अवैध रूप से संचालित हैं, जो हर रोज मासूम लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।
इन अस्पतालों के बाहर लगे प्रचार बोर्ड में मोटे मोटे अक्षरों में चिकित्सकों के नाम लिखे हैं , लेकिन वह चिकित्सक कभी अस्पतालों में मौजूद नहीं रहते।
कासगंज शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि मिशन चौराहे पर संचालित एक अस्पताल के प्रबंधक महोदय पहले एम्बुलेंस चालक थे , जो अब स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी से अस्पताल के मालिक बन गए है ।
इससे पूर्व भी जिले के अमांपुर में आरती अस्पताल में एक प्रसूता की मौत हो गई थी, बाद में आरती अस्पताल के कर्मचारी और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था जिसमें उक्त स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी मृतका के शव का सौदा कर रहा था।
वायरल वीडियो जिले के सीएमओ अवध किशोर प्रसाद के पास पहुंचा लेकिन धर्मराज युधिष्ठिर का चोला ओढ़े सीएमओ साहब ने आरती अस्पताल पर कोई कार्रवाई नहीं की।
हालांकि स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली से जिले की मुखिया हर्षिता माथुर कई बार नाराजगी जाहिर कर चुकी हैं, लेकिन डीएम की ईमानदार छवि को स्वास्थ्य विभाग के मुखिया और कर्मचारी जमकर बट्टा लगा रहे हैं।