June 24, 2025

कुल शरीफ की रस्म के साथ तीन रोजा उर्स ए आला हज़रत समाप्त ,भारी संख्या में देश विदेश से पहुंचे जायरीन

 कुल शरीफ की रस्म के साथ तीन रोजा उर्स ए आला हज़रत समाप्त ,भारी संख्या में देश विदेश से पहुंचे जायरीन

बरेली/उत्तर प्रदेश:(वसीम अहमद)– बरेली में तीन रोजा उर्स ए आला हज़रत का कुल की रस्म के साथ समापन हो गया। इस मौके पर देश विदेश से आये लोगों ने उर्स में शिरकत करने के साथ दरगाह पर हाजिरी दी।

बरेली तीन रोजा उर्स ए रजवी का आज 2:38 पर कुल के साथ समापन हुआ बुधवार को परचम कुशाई कि रस्म के साथ उर्स का आगाज हुआ था और तभी से आला हजरत के दीवानों के आने का सिलसिला जारी हो गया था आज लाखों आला हजरत के दीवानों (अकीदतमंदो) ने अपनी हाजिरी दी।

3 वर्ष से कोरोना के चलते पाबंदियां लगी हुई थी जिस वजह से उर्स ए रजवी की मात्र रस्म अदायगी कि गईं थी पाबंदियां सारी हट जाने के बाद जैसी उम्मीदें जताई जा रही थी कि आला हजरत के उर्स में इस बार भारी तादाद में लोगों का हुजूम उमड़ेगा वैसा हि बरेली के इस्लामिया ग्राउंड और मथुरापुर स्थित मदरसा जमीयतुर रज़ा में देखने को मिला।

उर्स के अंतिम दिन उलेमाओं ने मुस्लिम समाज से अपने बच्चों को बेहतर तालीम देने की अपील की। दरगाह की ओर से जारी प्रेस रिलीज में जानकारी दी गई कि 104 वे उर्से रज़वी के आखिरी दिन आज आला हज़रत फ़ाज़िले बरेलवी के कुल शरीफ की रस्म लाखों के मज़मे में अदा की गई। इस मौके पर सज्जादानशीन समेत तमाम उलेमा ने दुनियाभर के मुसलमानों के नाम खास पैगाम जारी किया। कुल की रस्म के बाद इस्लामियां मैदान में सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां ने नमाज़ ए जुमा अदा कराई। इससे पहले मुल्क के साथ दुनियाभर में अमन ओ सुकून व खुशहाली की ख़ुसूसी दुआ की गई।

उर्स की महफ़िल का आगाज़ दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) की सदारत व सय्यद आसिफ मियां और उर्स प्रभारी राशिद अली खान की देखरेख में हुआ। साउथ अफ्रीका से आए कारी अलीम रज़ा ने कुरान की तिलावत की जिसके बाद उलेमा की तक़रीर का सिलसिला शुरू हुआ। उलमाओं ने सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां का पैगाम ज़ायरीनो तक पहुँचाते हुए कहा की मुसलमान अपने बच्चे व बच्चियों का खास ख़याल रखे व उनको दुनियावी तालीम के साथ दीनी तालीम दिलाने पर खास ध्यान दें ताकि बच्चें अपना भला बुरा समझ सके। उन्होंने यह भी कहा कि जब बच्चें जवान हो जाये तो उनकी वक़्त पर बेहतर रिश्ता देखकर शादी कर दे। ताकि बच्चे बच्चियां कोई गलत कदम न उठा ले जिससे कानून व्यवस्था में भी खलल पड़ता है। साथ ही शादियों में फुजूलखर्ची व दहेज़ जैसी सामाजिक बुराईयों को खत्म करें और फिजूलखर्ची पर रोक लगाए।

मुफ़्ती आकिल रज़वी व अल्लामा सगीर अख्तर जोखनपुरी ने पैगाम दिया कि तिरंगा झंडा जिस तरह हमारे मुल्क की पहचान है और हम लोगो ने जश्ने आज़ादी के मौके पर घर घर लगाया ठीक उसी तरह पैगम्बर ए इस्लाम की यौमे विलादत के मौके पर दुनियाभर में मुसलमान परचम-ए-रिसालत अपने घरों पर लगा कर इश्के रसूल का सुबूत दे।


कारी सखावत नूरी ने मुसलमानों के जुलूस में बजते डीजे पर सख्त मज़म्मत करते हुए आने वाले जुलूस-ए-मोहम्मदी पर डीजे पर सख्ती से रोक लगाने को कहा। कारी इकबाल रज़ा ने कहा कि जो अपने लिए जीते है वो हमेशा के लिए खत्म हो जाते है और जो दुनिया के लिए कुछ करके जाते है उनको दुनिया हमेशा याद रखती है यही वजह है कि आज 104 साल बाद भी दुनिया आला हज़रत को याद कर रही है।

आला हजरत को मिले भारतरत्न :

लंदन से आये अल्लामा अज़हरुल क़ादरी ने अपना अखलाक व किरदार बेहतर करने व आला हज़रत के पैगाम को आम करने को कहा। मौलाना मुख्तार बहेडवी ने दरगाह प्रमुख का पैगाम सुनाते हुए इस्लामिया की कमेटी से बॉउंड्री वॉल बनाने व कॉलेज के मैदान को कब्ज़ा मुक्त करने को कहा। आगे कहा कि कमेटी नही कर पाती है तो दरगाह अपने स्तर से कदम उठायेगी। मौलाना नोमान अख़्तर व मौलाना हाशिम रज़ा ने कहा कि अंग्रज़ों का मिशन था की लड़ाओ और राज्य करो। जब हक़ परस्तों की आवाज़ दबाई जा रही थी। उस वक़्त में उलेमा की बड़ी जमात ने देश की खातिर कुर्बानिया देकर मुल्क को आज़ाद कराने में अहम किरदार निभाया। मुफ़्ती सय्यद कफील हाशमी ने कहा कि आला हज़रत ने हमारे ईमान और अक़ीदे की हिफाज़त की। मुफ़्ती इमरान हनफ़ी ने आला हज़रत को भारत रत्न कहा और हुक़ूमत से भारत रत्न देने की मांग की।

कश्मीर से आये मुफ्तियों ने उर्स में की शिरकत

कश्मीर के मौलाना फ़ारूक़, मौलाना ज़िकरुल्लाह, मौलाना सुल्तान अशरफ,मुफ़्ती शमशुद्दीन, मौलाना शमसुद्दीन हक़ (बांग्लादेश) ने भी खिताब किया। नात-ओ-मनकबत दरगाह प्रमुख के पोते सुल्तान मियां,दिलकश रॉचवी,मौलाना फाइक़ उल जमाली,आसिम नूरी,मुस्तफ़ा रज़ा आदि ने पड़ी। उर्स की व्यवस्था राशिद अली खान,मौलाना ज़ाहिद रज़ा,शाहिद खान,हाजी जावेद खान,नासिर कुरैशी,अजमल नूरी,परवेज़ नूरी,औररंगज़ेब नूरी,ताहिर अल्वी,मंज़ूर रज़ा,आसिफ रज़ा,शान रज़ा,मुजाहिद रज़ा,खलील क़ादरी,सय्यद फैज़ान अली,इशरत नूरी,तारिक सईद,यूनुस गद्दी,जुहैब रज़ा,आलेनबी,इशरत नूरी,गौहर खान,हाजी शारिक नूरी,हाजी अब्बास नूरी, मोहसिन रज़ा, सय्यद माजिद,ज़ीशान कुरैशी, सय्यद एज़ाज़,काशिफ सुब्हानी,सबलू अल्वी,मुलतज़म कुरैशी,साजिद नूरी,फ़ारूक़ खान,अब्दुल वाजिद नूरी,शहज़ाद पहलवान,गफ़ूर पहलवान,काशिफ रज़ा,यूनुस साबरी, शारिक बरकाती,आसिफ नूरी,आरिफ नूरी,फ़ैज़ कुरैशी,ज़हीर अहमद,अब्दुल माजिद,अश्मीर रज़ा,सय्यद फरहत,शारिक उल्लाह खान,हाजी अज़हर बेग,सय्यद जुनैद,इरशाद रज़ा,जावेद खान,साकिब रज़ा,अजमल खान,समी खान,फ़ैज़ी रज़ा,नफीस खान,अदनान खान,सुहैल रज़ा,अयान क़ुरैशी,सय्यद जुनैद,शाद रज़ा,मिर्ज़ा जुनैद,यामीन कुरैशी आदि ने सम्भाली।

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