August 10, 2025

आल्हाघाट पर बने सब्जी प्लेटफॉर्म नीलामी प्रक्रिया कठघरे में नीलामी प्रक्रिया में हो गया बड़ा खेल

 आल्हाघाट पर बने सब्जी प्लेटफॉर्म नीलामी प्रक्रिया कठघरे में नीलामी प्रक्रिया में हो गया बड़ा खेल

आखिर इस तरह कैसे मिल सकता है गरीबों को रोजगार

जबकि योगी सरकार चाहती है कि हर गरीब दुकानदार को मिले


झांसी/उत्तर प्रदेश:(सुल्तान आब्दी)–नगर निगम द्वारा फुटपाथ पर सब्जी व्यवसाय करने वालों के लिए आल्हाघाट पर पक्के प्लेटफॉर्म का निर्माण कराकर उन्हें स्थायी रूप से जगह देने के लिए नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई, जिसके लिए निगम ने तैयार किये गये 84 प्लेटफॉर्म (चबूतरा) की नीलामी प्रक्रिया मंगलवार को नगर निगम में दोपहर 12 बजे से शुरू हुई परन्तु प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही प्रक्रिया में धांधली की खबरें आने लगी थीं।

बताया गया कि नगर निगम ने नियमानुसार प्लेटफॉर्म प्राप्त करने वालों के लिए आवेदन के साथ ही 50 हजार रू0 की डीडी नगर निगम के पक्ष में मांगी थी, जिसे अन्तर्गत लगभग 100 आवेदकों ने प्रक्रिया में भाग लिया। मंगलवार को नगर निगम में जो नजारा देखने को मिला वह चौकाने वाला था। सूत्रों से जो खबर प्राप्त हुई है उससे यह स्पष्ट होता दिखाई दे रहा है कि प्रक्रिया में कुछ हद तक धांधली अवश्य हुई है क्योंकि सीलबंद लिफाफे नीलामी प्रक्रिया से पहले ही खोल लिए गये, यह नगर निगम के नियम का हिस्सा हो सकता है परन्तु इसी बीच जो नजारा वहां देखने को मिला वह निगम के कर्मचारियों के नियत पर सवाल खड़ा कर देने वाला है। सूत्र बताते हैं कि निगम के कर्मचारियों ने कई आवेदकों से सांठगांठ कर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने में मदद की है। देखा यह गया कि नीलामी प्रक्रिया शुरू होने से ठीक 15 मिनिट पहले निगम के कुछ कर्मचारियों ने अपने हाथों में आवेदकों के फॉर्म लेकर नाम पुकारना शुरू किया। जब उनसे पूछा गया कि यह क्या हो रहा है तो उन्होंने बताया कि जिन लोगों ने फॉर्म में प्लेटफॉर्म संख्या नहीं डाली है उन्हें यह अवसर दिया जा रहा है। पर सवाल यहां उठता है कि जब 19 सितम्बर को शाम 05 बजे आवेदन जमा कर प्रक्रिया पर पूर्ण विराम लगा दिया गया था तो फिर नीलामी के 15 मिनिट पहले आवेदकों को इस तरह का मौका क्यों दिया गया। बल्कि नियम को अपनाते हुए उनके आवेदन पत्र निरस्त करने की प्रक्रिया क्यों नहीं अमल में लाई गई ? अति गोपनीय जानकारी जो मिली है उससे पता चला है कि निगम के कर्मचारियों ने आ रहे आवेदनों का परीक्षण कर देख लिया था कि शेष कितने नम्बरों के प्लेटफॉर्म ऐसे हैं जिन पर किसी ने भी आवेदन नहीं किया और सेटिंग गेटिंग के चलते जिन लोगों को आखिरी के 15 मिनिट में प्लेटफॉर्म नं0 डालने का अवसर दिया वह सुनियोजित तरीके से अपनाई गई एक योजना थी। क्योंकि निगम के कर्मचारियों ने पारदर्शिता से अलग हटकर आवेदक के साथ लालचवश इस कृत्य को अंजाम दिया। जिससे शायद आला अधिकारी भी अनभिज्ञ हो सकते हैं। चारों तरफ इसी बात की चर्चा है कि जो नीलामी प्रक्रिया अपनाई गई है वह पूर्ण रूप से शुद्ध नहीं है। जब इस सम्बन्ध में अपर नगर आयुक्त मो कमर से दूरभाष से बात की गई तो उन्होंने नगर आयुक्त से बात करने के लिए कहा। नगर आयुक्त से दूरभाष द्वारा कई बार सम्पर्क किया गया लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो सका।

Bureau