जिला मद्य निषेध अधिकारी ने ”नशा छोड़ें-परिवार जोड़ें’’ ने अंतर्गत बैठक की

नशा एक ऐसी बीमारी है, जो हमें हमारे समाज, देश को तेजी से निगलते जा रही है:– जिला मद्य निषेध अधिकारी
मैनपुरी/उत्तर प्रदेश:- जिला मद्य निषेध अधिकारी उपदेश कुमार ने कहा कि ‘‘नशा छोड़ें- परिवार जोड़ें’’ नशा एक ऐसी बीमारी है, जो हमें हमारे समाज, देश को तेजी से निगलते जा रही है। आज शहर एवं गांवों में पढ़ने, खेलने की उम्र में स्कूल एवं काॅलेज के बच्चे एवं युवा वर्ग मादक पदार्थो के जाल में जकड़ते जा रहे हैं। इस बुराई के कुछ हद तक जिम्मे दार हम लोग भी है। हम अपने काम में इतना उलझ गये हैं कि हमें यह जानने की फुसर्त ही नहीं है कि हमारा बच्चा कहाॅ जा रहा है। क्या कर रहा है? इसकी कोई परवाह नहीं, बच्चों की मांगों को पूरा करना ही अपनी जिम्मेदारी समझ बैठे हैं।
उन्होने कहा कि कभी शौक के नाम पर तो कभी दोस्ती की आड़ में कभी दुनियां के दुखों का बहाना करके तो कभी कोई मजबूरी बताकर, कभी टेंशन तो कभी बोरियत दूर करने के लिए लोग शराब, सिगरेट, बीड़ी आदि अनेक प्रकार के मादक द्रव्यों का सेवन करते हैं। लेकिन नशा कब उनकी जिदंगी का हिस्सा बन जाता है। उन्हें यह पता ही नहीं चलता जब तक पता चलता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। उन्होने कहा कि चोरी, हिंसा, आत्महत्या, व्यवचार आदि अनेक अपराधों के पीछे नशा एक बहुत बड़ी वजह है। शराब पीकर गाड़ी चलाते हुये एक्सीडेंट करना, शादी-शुदा व्यक्तियों द्वारा नशे में अपनी पत्नी से मारपीट करना आम बात हो चुकी है। उन्होंने कहा कि मुंह, गला, फेफड़ों का कैंसर, ब्लड प्रेसर, अल्सर, अवसाद एवं अन्य रोगों का मुख्य कारण नशा ही होता है।
उन्होने कहा कि नशा छोड़ने के लिए डायरी बनायें, नशा कब और कितनी मात्रा में लेते हैं लिखें, विचार करें। आपके लिए अपका परिवार, बच्चे, कैरियर और स्वास्थ्य कितनी अहमियत रखता है। आपके नशा करने से इन चीजों पर कितना असर हो रहा है। नशा छोड़ने से आपको क्या फायदे और नुकसान होंगे एवं यदि आप नशा जारी रखते हैं। तो आपके भविष्य पर क्या असर होगा इस पर गंम्भीरता से विचार करें। पाॅजिटिव रहें, अपने आपको खेल-कूद, किताबें पढ़ना, फिल्म देखना एवं गाने सुनने जैसी गतिविधियों में व्यस्त रखें, अकेले न रहें।