June 23, 2025

प्रधानमंत्री की वजह पसमांदा मुस्लिम समाज राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना : मुख्तार अहमद

 प्रधानमंत्री की वजह पसमांदा मुस्लिम समाज राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना : मुख्तार अहमद

लखनऊ। देश के माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा देश के सियासी, समाजी, माली और तालीमी हैसियत में सबसे कमजोर, शोषित-वंचित और उपेक्षित वर्ग यानी पसमांदा मुस्लिम समाज को भाजपा से और राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए किए गए आह्वान से, देश का पसमांदा समाज उनका दिल से आभार व्यक्त करता है। यह बात आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्तार अंसारी ने आज प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि यह माननीय प्रधानमंत्री जी की देन है कि आज पसमांदा मुस्लिम समाज के साथ किये गये समाजी-सियासी वा अन्य दूसरे नाइंसाफियों की चर्चा समाज के हर वर्ग में, खासकर राजनीतिक गलियारे में मुख्य चर्चा का विषय बन गया है। लेकिन इस चर्चा में खासकर पसमांदा समाज के लोगों में प्रधानमंत्री जी के इतना स्पष्ट खुलकर बोलने के बाद भी लोग भरोसा नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि अब तक सपा, बसपा, राजद, कांग्रेस, आप जैसी तथाकथित सेक्युलर दलों से, उनके नेताओं से पसमांदा मुसलमानों को सिर्फ धोखा मिला है। यही वजह है कि माननीय प्रधानमंत्री जी के दिये गये इतने स्पष्ट बयान के बाद भी, उनमें अभी भी असमंजस, अविश्वास और भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
संगठन के राष्ट्रीय महासचिव वकार अहमद हवारी ने कहा कि पसमांदा मुसलमानों की आशंकाए गलत नहीं हैं क्योंकि आजादी के बाद से अब तक सभी सियासी दलों द्वारा जो भी स्लोगन जैसे कांग्रेस का हाथ- आम आदमी के साथ, सपा का समाजवाद यानी समता और संपन्नता, बसपा का जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी या भाजपा का सबका साथ-सबका विकास- सबका प्रयास वगैरह-वगैरह। अगर हकीकत में इन सियासी नारों के मकसद को लेकर जमीनी धरातल पर कुछ काम हुआ होता तो फिर खासकर पसमांदा मुसलमानों के लिए किसी सच्चर कमेटी या रंगनाथ मिश्रा कमीशन बनाने की जरूरत ना पड़ती।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष वसीम राईन ने पसमांदा मुसलमानों की ओर से देश के यशस्वी प्रधानमंत्री से निवेदन किया कि अगर आप वाकई में पसमांदा मुसलमानों की समाजी, सियासी, माली, तालीमी बदतर हालात को सुधारना चाहते हैं जबकि संविधान के अनुच्छेद-38 में हर वर्ग को रानैतिक न्याय यानि बराबर अवसर देने की बात कही गई है। सरकार अपनी विशेष निगरानी में निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने की मेहरबानी जरूर करें।
संविधान के अनुच्छेद 341 पर लगे धार्मिक प्रतिबंध यानी पैरा (3) को हटाकर, पसमांदा (दलित) मुसलमानों के लिये दलित आरक्षण में लगी रोक को हटाया जाये।
भाजपा शासित सभी प्रदेशों और केन्द्र की सरकार में मुसलमानों की राज्यवार जनसंख्या में, पसमांदा मुसलमानों को उनकी 85 प्रतिशत आबादी के अनुपात में सरकार यानी मंत्रिमंडल, आयोगों, निगमों आदि वा शासन- प्रशासन में हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाये।
जैसे उप्र के 60 सदस्यीय मंत्रिमंडल में पसमांदा मुसलमानों को उनकी 16 प्रतिशत आबादी के अनुपात में मंत्रिमंडल (9-10 मंत्री) सहित सभी निगमों, आयोगों आदि के साथ-2, सिर्फ अल्पसंख्यक मोर्चा में ही नहीं, मेन बाडी सहित सभी राष्ट्रीय, प्रदेश और जिला मोर्चे में हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाये, साथ ही संगठन में एक अन्य पसमांदा मोर्चा का गठन अलग से हो।
पिछड़ा वर्ग आयोग, अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग की तरह एक पसमांदा आयोग का गठन हो, जिसमें सभी पेशेवर मुस्लिम बिरादरियों की उनकी आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी हो।
हाथ से सिंचाई शुरू हुई फिर बिजली से होने लगी किसानों को सरकार ने मुफ्त बिजली दी उसी तरह बुनकरो का हाथ से करधा से शुरू बिजली से पावरलूम से बुनाई होने लगी किसानों की तरह बुनकरों को भी मुफ्त बिजली दी जाए।
बिहार के तर्ज पर कर्पूरी ठाकुर फार्मूला लागू किया जाए।
इस अवसर पर संगठन के अकबर अली सिद्दीकी राष्ट्रीय संगठन मंत्री, नियाज अंसारी राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष, शमीम अनवर, खुर्शीद अंसारी, अब्दुल कलाम अंसारी, वसीम सिद्दीकी, नसीम अंसारी आदि मौजूद रहे।

Ehtesham Ansari